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लो आई जगमग दिवाली

 

लो आई जगमग दिवाली

लो आई जगमग दिवाली दीप जले घर आंगन में। 
खुशियों भरी बहारें आई फूल खिले हर आंगन में। 
दीप जले घर आंगन में

सद्भावों की बहती धारा धन वैभवता भंडार रहे। 
लक्ष्मी जी की कृपा बरसती खुशियां अपार रहे। 
रिश्तो में मधुरता घोले विश्वास प्रेम बहे मन में। 
अपनापन अनमोल बांटते भाव उमड़ते घट में। 
दीप जले घर आंगन में

रोशन हुआ कोना कोना दीपों की सजी बहार। 
नव वस्त्र नव भावों से पावन हुए हृदय विचार।
घट घट में प्रेम सलोना मोती बरसते पावन से। 
खुशियों का त्योहार दिवाली उमंगे उठी घट में।
दीप जले घर आंगन में

आशीषो से झोली भरे कीर्ति पताका लहरे जग में। 
यश कीर्ति दाता लक्ष्मी सुख समृद्धि आती घर में।
जनमन प्रेम निराला उमड़े उजियारा पाए मन में। 
दीपों का त्योहार पावन फुलवारी महकी वन में। 
दीप जले घर आंगन में

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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