चले आओ बरगद के तले मेरे प्यार के गाँव में गणपति उत्सव एवं शिक्षक दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन सह सम्मान समारोह दक्षिण कोरियाई हिन्दी समालोचक टेकु वासवाणी सम्मानित

चले आओ बरगद के तले मेरे प्यार के गाँव में गणपति उत्सव एवं शिक्षक दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन सह सम्मान समारोह दक्षिण कोरियाई हिन्दी समालोचक टेकु वासवाणी सम्मानित


पटना से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर 
साहित्य,कला व संस्कृति की संवाहक संस्था "अंतरराष्ट्रीय सामयिक परिवेश " के पटना अध्याय द्वारा बेली रोड के शास्त्री नगर थाना के निकट अवस्थित राजस्व व भूमि सुधार विभाग के सर्वेक्षण हाल में गणपति उत्सव एवं शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर दक्षिण कोरिया से पधारे हिन्दी साहित्य के समालोचक व सामयिक परिवेश के संरक्षक टेकु वासवानी के सम्मान में कवि सम्मेलन सह सम्मान समारोह आयोजित किया गया।
वरीय कवियित्री सह अंतरराष्ट्रीय सामयिक परिवेश की संस्थापिका ममता मल्होत्रा के कुशल संयोजन,वरीय पत्रकार व प्रकाशक मुकेश महान की अध्यक्षता एवं वरीय कवियित्री मीना परिहार के कुशल संचालन में आयोजित इस कवि सम्मेलन की शुरुआत अपनी लोकप्रिय कविता "मेरे प्यार के गाँव में " की चंद पंक्तियाँ "जब शाम ढले कोयल कुहके,पंछी चहके जब दिल धड़के,
चले आना बरगद के तले मेरे प्यार के गाँव में "सुनाकर खुब तालियाँ बटोरी।
मीना परिहार की रचना"अक्सर हीं लोग जाते हैं छोड़कर मुझे,
तुम भी चले गये तो क्या बात नई",सुधा पाण्डेय की "तम को छोड़ रहा अंधियारा,नई लालिमा लिए सवेरा",डॉक्टर प्रतिभा रानी की "स्वार्थ हीं स्वार्थ अब वो,पुरूषार्थ कहाँ है" ,पुनम यादव की रचना" खून में नरमी नहीं हाहाकार होना
चाहिए,संकटों के सामने नहीं लाचार होना चाहिए "अदिक्षा देवांगन की रचना "रूप का था महल,खंडहर हो गया,हुस्न का सब नशा बेअसर हो गया",डॉक्टर सुधा सिन्हा का" मेरे गणपति कहाँ है तू,मेरा दुख दूर करने आ जा" अंकेश कुमार की "शब्द से परे ,भावों की गहरी अनुभूति में ,देखा तुम्हारा मन ",मुकुंद कुमार की"हे परमेश्वरी जीवन के सफर का लक्ष्य बना दो" के अला वा नूतन सिन्हा की रचना काफी सराही गयी जबकि गजलकार पंकज प्रियम की गजल "मन के मंदिर में,चाहत का दीप जलने दो" एवं सविता राज की शिक्षक दिवस पर शिक्षक को समर्पित "शिक्षक देश का दर्पन,शिक्षक बनाओ उसे हीं,जो कर दे शिष्य के लिए,खूद को समर्पण " ने खुब वाह-वाही हासिल की। कार्यक्रम की शुरुआत मीना परिहार की गणपति वंदना से की गई थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व दक्षिण कोरिया से पधारे हिन्दी के समालोचक टेकु वासवाणी ने कहा कि हिन्दुस्तान में जो बात है वो और कहाँ,यहाँ आना मेरे धर जैसा लगता है।
अध्यक्षीय भाषण में मुकेश महान ने कहा कि सामयिक परिवेश का परिवार काफी बड़ा है ,सारे रचनाकार संवेदनशील हैं,यहाँ आकर सुकून मिलता है।
कार्यक्रम के अंत में टेकु वासवाणी को अंतरराष्ट्रीय सामयिक परिवेश की सर्वेसर्वा ममता मल्होत्रा,वरीय पत्रकार मुकेश महान , संजय शुक्ला एवं मनोज कुमार बच्चन के द्वारा अंगवस्त्र एवं मेमोन्टम प्रदान कर सम्मानित किया गया।।
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