गहलोत के गढ़ में शाह लगा रहे सेंध

गहलोत के गढ़ में शाह लगा रहे सेंध

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
राजस्थान में विधानसभा के चुनाव 2023 में होने हैं। अशोक गहलोत ने किस प्रकार अपनी सरकार बचाकर रखी, इसकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में भरपूर हुई। सचिन पायलट की बगावत के समय मध्य प्रदेश की कहानी सुनाई जा रही थी। वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत करके कमलनाथ की सरकार गिरा दी थी लेकिन राजस्थान में आपरेशन लोटस सफल नहीं हो पाया था। इसीलिए अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाने लगा। अब उसी जादूगर के गढ़ में भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह सेंध लगाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले ट्रम्प कार्ड खेलते हुए मनरेगा की तर्ज पर शहरों में भी 100 दिन रोजगार की गारंटी दे दी है। राज्य सरकार ने इसके लिए 800 करोड़ के बजट का भी प्रावधान कर दिया, उधर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजस्थान में ओबीसी वोटरों को हथियाने के लिए जाल बिछा दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी ओबीसी समुदाय से आते हैं। अमित शाह ने जोधपुर में ओबीसी मोर्चा के सम्मेलन को गत दिनों संबोधित किया था। भाजपा राजस्थान में वसुंधरा राजे का विकल्प तलाश रही है और किसी ओबीसी नेता को आगे करना चाहती है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना इन दिनों बड़ी चर्चा में है। बताते चलें कि देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए यूपीए सरकार के समय महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) शुरू की गई थी। इस योजना के सकारात्मक परिणाम देखने के बाद मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में भी मनरेगा की तर्ज पर रोजगार गारंटी योजना शुरू करने का निर्णय लिया और इस वित्तीय वर्ष के बजट में इस योजना की घोषणा की। योजना में शहरी क्षेत्र के बेरोजगार व्यक्तियों को आजीविका अर्जन की दृष्टि से प्रतिवर्ष 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। इस योजना के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 800 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान रखा है। राज्य में कोविड-19 महामारी के दौरान रोजगार छिनने से जो परिवार कमजोर और असहाय हो गए हैं, उन्हें भी इस योजना से बड़ा संबल मिल सकेगा।

योजना का क्रियान्वयन स्थानीय निकाय विभाग के माध्यम से किया जाएगा। योजना के तहत जॉब कार्डधारी परिवार को 100 दिवस का गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। इसमें जॉब कार्डधारी परिवार के 18 से 60 वर्ष की आयु के सभी सदस्य पात्र हैं। योजना में पंजीयन जन आधार कार्ड के माध्यम से किया जा रहा है। एक परिवार के सदस्यों को अलग-अलग पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं है। जिन परिवारों के जन आधार कार्ड उपलब्ध नहीं हैं, वे ई-मित्र या नगरपालिका सेवा केंद्र पर जन आधार के लिए आवेदन कर उसके क्रमांक के आधार पर जॉब कार्ड के लिए आवेदन कर सकेंगे। योजना में आवेदन ई-मित्र के माध्यम से निःशुल्क किया जा सकता है। आवेदन करने के पश्चात 15 दिन में रोजगार उपलब्ध करवाए जाने का प्रावधान है। योजना में अब तक 2 लाख 12 हजार से अधिक जॉब कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इनके माध्यम से पंजीकृत सदस्यों की कुल संख्या 3 लाख 18 हजार से अधिक है। समस्त 213 निकायों में 9 हजार 593 कार्य चिन्हित किए गए हैं और सभी नगरीय निकायों का बजट भी आवंटित कर दिया गया है। चिन्हित कार्यों की अनुमानित राशि करीब 658 करोड़ रूपए है। लगभग 6 हजार कार्यों के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति भी जारी की जा चुकी है।

उधर, भाजपा के निशाने पर राजस्थान भी है। इसी के चलते कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के घरेलू मैदान पर बीजेपी ने ओबीसी सम्मेलन का आयोजन किया है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गढ़ जोधपुर में बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की अहम बैठक के अपने मायने हैं। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ओबीसी माली समुदाय से आते हैं, जिनकी पश्चिमी राजस्थान के अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छी तादाद है। गृह मंत्री अमित शाह ने जैसलमेर पहुंच सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया और जोधपुर पहुंचने से पहले तनोट माता के दर्शन किये। ओबीसी मोर्चा को संबोधित करने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जोधपुर के दशहरा मैदान में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया। राजस्थान के 200 विधानसभा क्षेत्रों में से 33 जोधपुर संभाग में हैं, जिनमें 10 जोधपुर जिले में हैं। इनमें से बीजेपी के पास फिलहाल 14, कांग्रेस के पास 17, जबकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और निर्दलीय के पास एक-एक सीट है।

अमित शाह के इस कार्यक्रम का उद्देश्य चुनावों से पहले पश्चिमी राजस्थान में पार्टी की ताकत का आकलन करना और ओबीसी वोट बैंक तक पश्चिमी जिलों में एक प्रमुख वोट बैंक तक पहुंचना है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी 9 सितम्बर को जोधपुर में पहुंची, जहां सैकड़ों समर्थकों के बीच उनका भव्य स्वागत हुआ।

वसुंधरा का अभिवादन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग कतार में खड़े होकर केंद्रीय नेतृत्व को स्पष्ट संकेत दे रहे थे कि राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में अब भी उनका रसूख है। बीजेपी के इस कदम से साफ हो रहा है कि अब वो 2023 विधानसभा की तैयारियों में जुट चुकी है। जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और बीजेपी चीफ सतीश पूनिया सभी राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार हैं। हालांकि बीजेपी ने कहा है कि वे इस चुनाव में एक सीएम के साथ नहीं लड़ेंगे। बीजेपी के एक नेता ने कहा था पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक ऐतिहासिक होने जा रही है। जोधपुर में बीजेपी के ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक का उद्देश्य 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में ओबीसी वोटर्स को लुभाने का था। बीजेपी चुनाव से पहले राज्य के पश्चिमी हिस्से में भी अपनी ताकत आजमाना चाहती है। जोधपुर राजस्थान का सबसे बड़ा संभाग है और इसमें छह जिले जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, सिरोही और पाली शामिल हैं।
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