हास्यास्पद सत्याग्रह

हास्यास्पद सत्याग्रह

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
स्वतंत्रता संग्राम में अगस्त माह का विशेष महत्त्व रहा है। बिडम्बना देखिए वर्तमान कांग्रेस भी अगस्त में सत्याग्रह कर रही है। इसकी शुरुआत ईडी द्वारा नेशनल हेराल्ड घोटाले की जांच के विरोध में हुई थी। लेकिन यह दांव उल्टा पड़ा था। इससे यह संदेश जा रहा था कि कांग्रेस जांच से परेशान हैं। इसलिए इस सत्याग्रह का निशाना महगाई की तरफ कर दिया गया। लेकिन कांग्रेस की व्यथा जगजाहिर हो चुकी है। वर्तमान कांग्रेस का यह अगस्त सत्याग्रह चर्चा में है।

नेशनल हेराल्ड की स्थापना करते समय जवाहर लाल नेहरू ने यह नहीं सोचा होगा कि यह सम्पत्ति घोटाले को लेकर चर्चित होगी। उस समय अखबार निकालना भी स्वतंत्रता संग्राम का अस्त्र हुआ करता था। महात्मा गांधी ने शायद इस भविष्य का अनुमान लगा लिया होगा। इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को समाप्त करने का सुझाव दिया था। उनके अनुसार कांग्रेस का उद्देश्य देश को आजाद कराना था। यह कार्य पूरा हुआ। अब कांग्रेस की आवश्यकता नहीं है। किन्तु गांधी जी का यह सपना उस समय पूरा नहीं हुआ। महात्मा गांधी के लिए भी अगस्त का महत्त्व था। अगस्त 1942 में उनके द्वारा दिए गए दो नारे इतिहास में दर्ज हुए। उन्होने अंग्रेजों भारत छोड़ो और करो या मरो का नारा दिया था। उसके पहले अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत भी अगस्त में हुई थी। सबसे बड़ी बात यह कि पंद्रह अगस्त को देश स्वतंत्रत हुआ। देश को स्वतंत्रत हुए पचहत्तर वर्ष पूरे हो रहे है। आजादी का अमृत महोत्सव एक जन अभियान का रूप ले चुका है। इसी प्रकार अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस भारत के लिए गौरव का विषय था। इस पर भी राष्ट्रीय सहमति दिखनी चाहिए थी। दुनिया के दो सौ देशों में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। लेकिन भारत के विपक्षी दलों को इससे कोई मतलब नहीं है। उनके लिए वोटबैंक सियासत ही सर्वोच्च है।

विपक्ष को महंगाई सहित अन्य मुद्दों पर आंदोलन का पूरा अधिकार है। किन्तु इस समय उनका आंदोलन हर घर तिरंगा अभियान के विरोध में दिखाई दे रहा है। राष्ट्रीय सहमति से वर्तमान विपक्ष पहली बार अलग नहीं हुआ है। पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक चीन से विवाद जैसे मसलों पर भी उसके स्वर अलग थे।इस समय तो विपक्ष के प्रमुख दल घोटालों के आरोप का समाना कर रहे है। डेढ़ दर्जन से अधिक पार्टियों में तीन का विशेष महत्त्व है। निर्णय प्रक्रिया को यही प्रभावित करते है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार चयन में इन्हीं की चली थी। एक का नाम कांग्रेस है। तृणमूल और राष्ट्रवादी पार्टियों के साथ कांग्रेस शब्द जुड़ा है। इन तीनों पर घोटालों के आरोप पर ईडी का शिकंजा है। नेशनल हेराल्ड को लेकर काग्रेस के शीर्ष नेता पेरोल पर है। मामल न्यायालय में है।समाधान बी वही होगा। इसको लेकर आंदोलन करना अनुचित है।तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को अपने विश्वास पात्र मंत्री को हटाना पड़ा। उन पर घोटाले के गंभीर आरोप है। राष्टवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार के भतीजे भी घोटाले के आरोप पर जांच का सामना कर रहे है। उनके गठबंधन में शामिल शिवसेना के नेता भी इसी स्थिति से परेशान हैं। नेशनल हेराल्ड अखबार किसी कारण से नहीं चल पाया। अस्सी करोड़ रुपये से ऊपर की देनदारी थी। बारह वर्ष पहले एसोसिएटेड जनरल ने इसका पूरा शेयर यंग इंडिया को दे दिया। इसी यंग इंडिया में अड़तीस प्रतिशत हिस्सेदारी सोनिया गांधी और अड़तीस प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी की थी। इन्होंने सिर्फ पचास लाख रुपये नेशनल हेराल्ड को दिया और कांग्रेस ने अस्सी करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया। इस तरह करीब पांच करोड़ रुपये की नेशनल हेराल्ड की संपत्ति फैमली कंट्रोल ट्रस्ट के नाम लाई गई। राहुल गांधी और सोनिया गांधी दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए। इसके बाद उन्हें बेल लेनी पड़ी। विगत आठ वर्षो के दौरान नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध राहुल गांधी ही सर्वाधिक हमला बोलते रहे है। उन्होंने देश के प्रधानमन्त्री को चोर कायर डर कर भागने वाला मुँह छुपाने वाला आदि ना जाने क्या क्या कहा। उनका यह अंदाज अनवरत जारी है। राहुल ने कहा कि नरेंद मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दबाव डालकर चुप कराना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस जनता की आवाज उठाती रहेगी। हम किसी दबाव में आने वाले नहीं है। राहुल ने कहा कि सच को कोई बैरिकेड रोक नहीं सकता है। देश की रक्षा करने, लोकतंत्र की रक्षा करने, देश में भाईचारे को कायम रखने का काम कांग्रेस करती रहेगी। राहुल ने कहा कि संसद से सड़क तक हर जगह कांग्रेस को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह वर्तमान केन्द्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने में जुटी है।

राहुल ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार होती थी, तब संवैधानिक निकाय निष्पक्ष रहते थे। हम उन्हें नियंत्रित नहीं करते थे। वहीं आज हिंदुस्तान का हर संस्थान अपनी स्वतंत्रता और निष्पक्षता खो चुका है। देश का हर संस्थान आज भाजपा और आरएसएस के नियंत्रण में है। हम सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी से नहीं लड़ रहे हैं, हम उस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ लड़ रहे हैं। राहुल ने कहा कि सत्ता पक्ष देश की मीडिया को कंट्रोल कर रही है। हमें मिलकर लोकतंत्र को खत्म होने से बचाना है। इस मुहिम में सबको साथ आना चाहिये।

राहुल को बताना चाहिए कि उन पर लगे आरोपों की जांच क्यों नहीं होनी चाहिए। पचास प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी में गांधी परिवार का कंट्रोलिंग स्टेक है। जब कंट्रोलिंग स्टेक राहुल गांधी और सोनिया गांधी का है। ठीकरा एक ऐसे व्यक्ति पर फोड़ा जा रहा है जो आज दुनिया में नहीं है। इसकी जांच होनी चाहिए कि घोटाला व मनी लॉन्ड्रिंग को किसने किया। यह फैसला किसने लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी मोतीलाल वोरा के सिर पर पूरा ठीकरा फोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि हमें कुछ पता ही नहीं है, जो किया वो मोतीलाल वोरा ने किया। जबकि यंग इंडिया में अड़तीस प्रतिशत राहुल गांधी की है और अड़तीस प्रतिशत सोनिया गांधी की हिस्सेदारी है। जिस कंपनी के पास कोई संपत्ति नहीं है उसे दूसरी कंपनी एक करोड़ रुपये क्यों दिया गया। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी की जेब एक रुपया भी नहीं गया। लेकिन दो हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का कंट्रोलिंग स्टेक उनका हो गया। इस पूछताछ को कांग्रेस बदले की कार्रवाई बताकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है। राहुल ने कहा कि संसद से सड़क तक हर जगह कांग्रेस को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह वर्तमान केन्द्र सरकार लोकतंत्र की हत्या करने में जुटी है। लेकिन वास्तविकता यह कि कांग्रेस को चुनावों में मतदाता ही रोक रहे है। उधर पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग नियुक्ति घोटाले में धन शोधन की जांच चल रहीं है।इसमें ममता के करीबी चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जीमुख्य आरोपी हैं।उनके पास से भारी मात्रा में नकदी और गैर कानूनी चीजें मिली हैं। पार्थ और अर्पिता को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों में शामिल कथित धन शोधन की जांच चल रही है। विपक्ष अपनी इस व्यथा को राजनीतिक मुद्दों से जोड़ रहा है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ