भाजपा से बराबरी पर शिंदे

भाजपा से बराबरी पर शिंदे

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
 नौ मंत्री भाजपा से बनाए गये तो नौ मंत्री ही शिवसेना केआत्मबल से भरा है शिंदे गुट
एक महीने और आठ दिन बाद महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार ने मंत्रिमण्डल का विस्तार किया है। लगभग एक महीने पहले 30 जून को शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने बहुत ही नाटकीय क्रम के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पूर्व यही कहा जा रहा था कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे और एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सरकार बनाने के लिए विधायकों की सूची सौंपे जाने तक यही समीकरण माने जा रहे थे लेकिन भाजपा हाईकमान का यह फैसला चैंकाने वाला था जब जेपी नड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बनेंगे। उस समय देवेन्द्र फडणवीस की नाराजगी भी सामने आयी थी। उन्होंने कहा था कि वे सरकार में कोई पद नहीं लेंगे। फडणवीस का यह बयान सार्वजनिक भी हुआ था लेकिन भाजपा हाईकमान ने फिर फरमान जारी किया और देवेन्द्र फडणवीस को डिप्टी सीएम की शपथ लेनी पड़ी थी। उसी समय से शिवसेना के बागी नेताओं और मुुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में भी यह आशंका थी कि संख्या बल में ज्यादा होने के चलते भाजपा मंत्रिमण्डल में अपना वर्चस्व बनाएगी। इससे शिवसेना के दूसरे गुट को आलोचना करने का मौका मिलता। यही कारण रहा कि एक महीने के मंथन के बाद एकनाथ शिंदे की सरकार में 18 मंत्रियों को शपथ दिलायी गयी और दोनों पार्टियों से 9-9 मंत्री बने हैं। इस प्रकार अब तक एकनाथ शिंदे भाजपा से बराबरी बनाकर उद्धव ठाकरे गुट को यह संदेश देना चाहते हैं कि असली शिवसेना हम हैं और हम भाजपा से सहयोग भले ले रहे हैं लेकिन दबाव में नहीं आएंगे। उधर शिवसेना में संकट के बादल छाये हुए हैं और पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर झगड़ा और तेज हो सकता है। बीएमसी के चुनाव भी होने हैं।

महाराष्ट्र में शिंदे कैबिनेट का विस्तार हो गया है। बीजेपी और शिंदे गुट से 9-9 विधायकों को शपथ दिलाई गई है। शपथ लेने वालों में बीजेपी की ओर से चंद्रकांत पाटिल, सुधीर मुनगंटीवार, राधा कृष्ण विखे पाटिल, गिरीश महाजन, सुरेश खाडे, रविंद्र चव्हाण, मंगल प्रभात, विजय कुमार गवित और अतुल सावे शामिल हैं। वहीं एकनाथ शिंदे खेमे से दादा भूसे, उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल, तानाजी सावंत, संजय राठौड़ और संदीपन भूमारे ने शपथ ली। बता दें कि शिवसेना बागी नेता एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के अन्य विधायकों के साथ मिलकर उद्धव सरकार को गिरा दिया था। इसके बाद 30 जून को एकनाथ शिंदे ने खुद सीएम पद की शपथ ले ली थी। साथ ही बीजेपी नेता देवेंद्र फडणीस ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली थी। तभी से दोनों दो सदस्यीय कैबिनेट के रूप में काम कर रहे थे। इसे लेकर विपक्ष लगातार आलोचना कर रहा था। कहा जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार के मुद्दे को लेकर देवेंद्र फडणवीस और शिंदे हाल के दिनों में कई बार दिल्ली गए थे।महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच शिवसेना किसकी होगी, इस बात को लेकर जंग और तेज होने वाली है। पिछले महीने एकनाथ शिंदे और फडणवीस ने शिवसेना के विधायकों को उद्धव ठाकरे से दूर खींचकर ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया था।

दोनों नेता (एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस) राज्य में मंत्रिपरिषद विस्तार के लिए लगातार मुंबई से दिल्ली की दौड़ लगा रहे थे ताकि अमित शाह और जेपी नड्डा से चर्चा कर मंत्रिमंडल बंटवारे पर छाए गतिरोध को तोड़ा जा सके लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल रही थी। एक महीने बाद दोनों दलों के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन गई। इस बात की चर्चा थी कि एकनाथ शिंदे गृह, वित्त और पीडब्ल्यूडी जैसे बड़े विभागों को अपने पाले में रखने के लिए अड़े हुए थे, जबकि नंबर दो स्थान पर रहने वाले फडणवीस, कई मलाईदार विभाग अपने पास रखना चाह रहे थे। अभी विभागों का बंटवारा होना बाकी है। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा महाराष्ट्र में विवाद को नहीं बढ़ाएगी। उधर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को ‘गद्दारों की सरकार’ बताया और कहा कि यह जल्द ही गिर जाएगी। शिंदे द्वारा अपने पिता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिराए जाने के बाद आदित्य जनता से जुड़ने के कार्यक्रम के तहत सतारा जिले के पाटन में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में 20 जून से विश्वासघात सामने आ रहा। आदित्य ने शिंदे गुट के इस दावे का मजाक उड़ाया कि शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ उनके विद्रोह ने 33 देशों में सुर्खियां बटोरीं। बहरहाल शिवसेना के दोनों गुटों में चुनाव चुनाव चिन्ह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि लोगों द्वारा चुने जाने के लिए उन्हें चुनाव चिह्न की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने केवल एक बार फिर शिवसेना का एक प्राकृतिक गठबंधन बनाया है। शिंदे ने कहा, किसने धोखा दिया? हमने या किसी और ने? हमने एक बार फिर शिवसेना का प्राकृतिक गठबंधन बनाया और यह सरकार लोगों की सरकार है। एकनाथ शिंदे ने कहा, मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में बहुत काम किया है। इतना कि मुझे लोगों द्वारा चुने जाने के लिए चुनाव चिह्न की आवश्यकता नहीं है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के बाद जून में गिर गई थी। उसके बाद से ठाकरे नीत शिवसेना की ओर से शिंदे और अन्य पर ‘‘गद्दारी’ या विश्वासघाती कहते हुए निशाना साधा जाता रहा। पुणे में एक रैली में बोलते हुए, एकनाथ शिंदे ने कहा, सरकार सत्ता में आई और हमारी पार्टी के प्रमुख मुख्यमंत्री बने। हम सभी काम पर उतर गए। इस बीच, लोग मुझसे मिलने आते थे क्योंकि कुछ लोगों (उद्धव ठाकरे) के पास समय नहीं था। हमारे लोगों को भुगतना पड़ा, सरकार में जो हो रहा था वह असहनीय था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि, आगामी चुनावों में, शिवसेना के पास केवल उतने ही विधान सभा (विधायक) होते जितने कि उंगलियों पर गिना जा सकता है। शिवसेना को समाप्त करने के प्रयास जारी थे, लोगों को जेल में डाला जा रहा था और वे उन्हें खुद को बचाने के लिए अपनी पार्टियों में शामिल होने के लिए कहा जा रहा था। ध्यान रहे महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को पास कर लिया है। यानी कि, सरकार बहुमत साबित करने में सफल रही है। विधानसभा में 164 ने एकनाथ शिंदे का समर्थन किया है। स्पीकर का वोट काउंट नहीं किया गया, नहीं तो वोट का यह आंकड़ा 165 हो जाता। वहीं विरोध में हुई वोटिंग में 99 वोट पड़े यानी कि उद्धव के समर्थन में गए हैं। बता दें, विधानसभा में वोट देते हुए कांग्रेस विधायक कैलास गोरंट्याल ने कहा, राजनीति में पहले साम, दाम, दंड, भेद जरूरी था। लेकिन अब ईडी, सीबीआई और गवर्नर जरूरी है। इस पर शिंदे गुट ने एतराज जताया। वहीं, उद्धव की शिवसेना के विधायक संतोष बांगड ने शिंदे सरकार के समर्थन में वोट किया। दरअसल, संतोष फ्लोर टेस्ट से पहले ही उद्धव की शिवसेना को छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हुए थे। विधानसभा वोटिंग के दोरान 8 विधायक अनुपस्थित रहे। इस प्रकार शिंदे शिवसेना के मान्य नेता साबित हुए।
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