मुख्य फसल और खरपतवार

मुख्य फसल और खरपतवार

जय प्रकाश कुँवर
किसान जब अपने खेतों में धान , गेहूं , जौ , बाजरा , मक्का आदि मुख्य फसलों की बुवाई करता है तो अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि जब पौधे उगना शुरू होते हैं तो उनके साथ साथ कुछ अन्य प्रजाति के अवांछित पौधे भी मुख्य फसल के साथ खेतों में उग आते हैं। किसान के द्वारा खेतों में दिए गए खाद जल आदि का वह भी उपयोग कर बढ़ना शुरू कर देते हैं । उन अवांछित पौधों से किसान का कुछ भी लाभ नहीं होता है बल्कि नुकसान ज्यादा होने लगता है और अवांछित पौधों का मकसद यही होता है कि किसान के खाद जल आदि का भरपूर उपयोग कर खुद को ज्यादा से ज्यादा बढ़ा कर मुख्य फसल को कमजोर कर देना तथा उन पर हावी हो जाना होता है। अंततः देखा जाता है कि अगर किसान समय पर जागरूक नहीं है तो वे अवांछित पौधे खुद को बढ़ाकर मुख्य फसल के पौधों को कमजोर बना देते हैं तथा लगभग नष्ट कर देते हैं । अब ऐसी हालात में मुख्य फसल के कुछ पौधे छोटे तथा कुछ पतले तो ज्यादातर नितांत कमजोर होकर खेत में उन अबांछित पौधों के आगे दब जाते हैं और उनका विकास रुक जाता है। कुछ समय बाद जब फसल कुछ बड़ा हो जाता है तो खेत में अधिकांशतः खरपतवार ही दिखाई पड़ता है और मुख्य फसल उनके सामने लुप्त हो जाता है । अतः चतुर किसान अपने खेत में फसल बुवाई के समय से ही काफी सजग रहता है और जैसे ही फसल उगना शुरू होता है वह खेत की समुचित निगरानी करता है और निकोनी कर के खेत में उगे हुए खरपतवार को जड़ से उखाड़ फेंकता है ताकि वे सूख कर मर जाएं और मुख्य फसल को नुकसान न पहुंचाने पाएं। उनकी यह प्रक्रिया लगातार निगरानी के रूप में चलती रहती है जब तक फसल पूर्ण तैयार नहीं हो जाता है और उनके खेत में खरपतवार का विकास न होकर खात्मा हो जाता है । अतः अच्छी फसल प्राप्ति के लिए किसान द्वारा समुचित निगरानी एवं खरपतवार की निकोनी करना नितांत आवश्यक है।
आज भारतवर्ष की हालात भी किसान के खेत जैसे ही होती दिख रही है।
75 साल पहले देश आजाद तो हुआ लेकिन देश की आबादी में मुख्य फसल यानी मुख्य आबादी के साथ खरपतवार भी उग आए। हमने धर्मनिरपेक्षता और अहिंसा की नीति अपनाई और उसी रास्ते पर निर्भय और बेपरवाह होकर चल पड़े। उधर टक टकी लगाए हमारे पड़ोसी मुल्कों से हमारी मुख्य आबादी में घुसपैठियों और अराजक तत्वों का खरपतवार जैसा बाढ़ आना शुरू हो गया । हमारे देश की सीमाएं कुछ हद तक निर्भीक और असुरक्षित हो गई। तरह-तरह की नई-नई अराजक संस्थाएं , जैसे पीएफआई , सिम्मी , उल्फा आदि का गठन हुआ और उनके आड़ में इन संस्थाओं ने देश विरोधी क्रियाकलाप शुरू कर दिया । किसान के खाद जल आदि जैसे इस देश के संसाधनों का ही ये भी उपभोग करते थे। अब विगत 70 - 75 सालों में बात यहां तक आ पहुंची है कि ऐसे संगठन इस देश में अपना जड़ जमा चुके हैं और इस देश के प्रोढ़ और युवा नागरिकों को भी अपने संगठन से जोड़ना शुरु कर दिए हैं और देश विरोधी हरकतें करने के लिए उनको उकसाया जा रहा है और तैयार किया जा रहा है । अब तो सुनने को यह भी मिल रहा है कि ऐसे संगठनों का मकसद खुद को इतना बड़ा तथा मजबूत कर देना है ताकि 25 साल बाद यानी 2047 तक इस भारतवर्ष को मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया जा सके। इस से इनके खतरनाक इरादे की नुमाइश होती है । देश में हाल के दिनों में बहुत सारे ऐसे मामले सामने आए हैं और हाल ही में एक-दो दिन पहले बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ में उजागर हुई घटना ने तो सबका ही आंख खोल दिया है। बिहार सरकार प्रशासन ने इस संबंध में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है और उनसे गहन पूछताछ चल रही है , जैसा कि मीडिया रिपोर्ट से पता चल रहा है। अब यह उजागर किया जाना नितांत आवश्यक है कि आखिर ये कौन लोग हैं जो इस प्रकार की हरकत में लगे हुए हैं और वो भी इस देश का अन्न खाकर तथा सरकार प्रद्दत सारी सुविधाएं लेकर। साथ ही यह भी उजागर किया जाना चाहिए कि इनका इस देश विरोधी क्रियाकलाप में किस किस देश के लोगों तथा सरकारों से संबंध है। सरकार द्वारा इसे काफी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह घटना ऊपर वर्णित किसान के खेत और फसल के वाकया जैसा ही है जिसमें किसान के सजग और समय पर निगरानी न करने के कारण मुख्य फसल का पूर्ण रूप से नुकसान कर खरपतवार हावी हो जाता है और खेत का मुख्य फसल अब खरपतवार ही दिखने लगता है । इन सारी घटनाओं के परिपेक्ष में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों को अत्यधिक सजग हो समय रहते कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि ऐसे अवांछित तत्वों द्वारा 2047 तक भारतवर्ष को धार्मिक आधार पर पूर्ण मुस्लिम राष्ट्र बनाने की इनकी मंशा पूरी ना हो सके।
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