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दंश संविधान में

दंश  संविधान में

       ---:भारतका एक ब्राह्मण.
          संजय कुमार मिश्र'अणु'
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इस देश में
कोई बडी बात नहीं है
कुछ भी कह देना
और कुछ भी कर देना
यदि मनाही है तो...
सिर्फ मुझे है
सही बात भी कहने की
और सही काम करने की
कारण की हम
एक तो सामान्य नागरिक हैं
और उपर से हिन्दू
हम बात भी नहीं कर सकते हैं
अपने हक और अधिकार की
जब की उन्हे छुट है
हिंसा,आगजनी,नरसंहार की
चाहे जो कुछ भी हो केंद्र विन्दु
ये संविधान और सरकार
है उसीका खिदमतगार
और हम अपने घर में खा रहे हैं मार
भारत तेरे टुकडे होंगे जो दे नारा
बह देखते देखते बन जाता है सितारा
वो कुचलना चाहे तो कुचल दे आस्था
है देश के संविधान में ऐसी भी व्यवस्था
जो लूटता है मेरा जमीन, दूकान, धन
ये सत्ता देती है उसीको संरक्षण
जिसे दिखता हीं नहीं है
मेरा दलन,शोषण और उत्पीड़न
अपनी आंखें खोलकर
आज देखो अपने हिन्दुस्तान में
कि कैसे अपने सनातनी लोग
बन गये दोयम दर्जे के नागरिक
अपने देव और संविधान में
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वलिदाद,अरवल(विहार)८०४४०२.
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