आदि कैलाश पर्वत के निकट फैल रही गंदगी

आदि कैलाश पर्वत के निकट फैल रही गंदगी

पिथौरागढ़। विकास की अगर सबसे बड़ी कीमत कोई चुकाता है तो वो है पर्यावरण। कुछ ऐसा ही इन दिनों चीन सीमा के करीब मौजूद आदि कैलास और ओम पर्वत में देखने को मिल रहा है। इन इलाकों तक रोड बनने के बाद भारी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं, लेकिन ग्लेशियरों के करीब लगातार बढ़ रहा मानवीय हस्तक्षेप बड़े खतरे को भी आमंत्रित कर सकता है। आदि कैलास और ओम पर्वत तक रोड कट गई है। रोड कटने के बाद पहली बार यहां सैलानियों का तांता भी नजर आया। सैलानियों की बढ़ती तादाद भले ही पर्यटन कारोबार को परवान चढ़ा रही हो, लेकिन इससे ग्लेशियर सीधे प्रभावित हो रहे हैं। हालात ये हैं कि पार्वती ताल, ओम पर्वत और आदि कैलास में सैलानियों से पर्यावरण की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। अनछुए दुर्लभ स्थलों में जहां प्लास्टिक पहुंचा है, वहीं पार्वती ताल सैलानियों के कपड़े से पटी है। यहां एक महीने में 6000 से अधिक सैलानी पहुंच चुके हैं। यही नहीं पूजा की सामग्री से भी ये अतिसंवेदनशील इलाके पटे हैं। इन इलाकों में लंबे समय से शोध कार्यों में जुटे वनस्पति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। सचिन बोहरा का कहना है कि ग्लेशियर के करीब जरूरत से अधिक इंसानी हरकत पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है। बेहतर होगा कि प्रशासन जल्द कोई ठोस कदम उठाए। इंडियन माउंटेनियरिंग फेडरेशन ने भी ऊंचे इलाकों में बढ़ रहे मानवीय हस्तक्षेप पर चिंता जाहिर की है। आदि कैलास जहां 19,500 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है, वहीं ओम पर्वत 18 हजार फीट पर मौजूद है। इस साल सिर्फ गर्मियों में 6 हजार से अधिक सैलानी आदि कैलास और ओम पर्वत पहुंच चुके हैं। लेकिन इन सैलानियों के लिए कोई भी नियम अब तक नहीं बने हैं। यही वजह है कि गंदगी से कोसों दूर के ये ग्लेशियर अब गंदे होने लगे हैं।
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