किरोड़ी कि किच-किच से भाजपा की फजीहत

किरोड़ी कि किच-किच से भाजपा की फजीहत

(रमेश सर्राफ धमोरा-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

राजस्थान में भाजपा की फूट अब खुलकर सड़कों पर आ गई है। हाल ही में जयपुर के होटल क्लाक्र्स आमेर में एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के स्वागत कार्यक्रम में एंट्री को लेकर बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता आपस में भिड़ गए। बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने आदिवासी जिलों के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में एंट्री नहीं देने पर प्रतिपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ को जमकर खरी-खोटी सुनाई। जवाब में राठौड़ ने भी किरोड़ी को लहजा सुधारने की नसीहत दी। काफी देर तक दोनों नेताओं के बीच बहस चलती रही। मामला बढ़ने पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बीच-बचाव कर मामला शांत करवाया। कांग्रेस ने भाजपा नेताओं की आपसी तकरार पर चुटकी ली है।

असल में कार्यक्रम में केवल उन्हीं नेताओं को एंट्री दी जा रही थी जिनके पास बने हुए थे। किरोड़ीलाल आदिवासी जिलों के कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ स्वागत के लिए पहुंचे थे जिनके पास प्रवेश के पास नहीं थे। घटना से नाराज किरोड़ी लाल मीणा कार्यक्रम का बहिष्कार कर चले गए थे। राजेंद्र राठौड़ व किरोड़ी लाल मीणा के मध्य हुई तकरार का वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा की बहुत फजीहत हो रही है। इस घटना की गूंज भाजपा आलाकमान को दिल्ली तक सुनाई दी। चर्चा है कि भाजपा आलाकमान ने दोनों नेताओं से घटना की जानकारी मांगी है। उसी दिन किरोड़ी लाल मीणा के समर्थकों को जयपुर हवाई अड्डे पर भी प्रवेश नहीं देने से उन्होंने जमकर भाजपा नेताओं को खरी-खोटी सुनाई थी।

उक्त घटना तो एक बानगी मात्र है। राजस्थान के भाजपा नेता ऐसा कोई मौका नहीं चूकते हैं जहां एक दूसरे को नीचा न दिखाया जा सके। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी लगातार अपने विरोधी गुट के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया पर हमला करती रहती है। भाजपा में स्थिति तो अब यहां तक पहुंच गई है कि वसुंधरा राजे व सतीश पूनिया किसी कार्यक्रम में एक साथ शामिल होने से भी परहेज करने लगे हैं।

जब से डॉ सतीश पूनिया भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तभी से वह वसुंधरा राजे गुट के निशाने पर हैं। वसुंधरा गुट का हमेशा प्रयास रहता है कि कैसे भी करके पूनिया समर्थकों को नीचा दिखाया जाए। वसुंधरा समर्थकों द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष पूनिया को नहीं बुलाया जाता है। अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि वसुंधरा गुट के कार्यक्रम में पूनिया की फोटो भी नहीं लगाई जाती है।

प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर लगे होर्डिंग से वसुंधरा राजे की फोटो हटाने को लेकर भी वसुंधरा समर्थकों ने बड़ा हंगामा किया था। मगर पुनिया समर्थकों ने यह कहकर मामले को समाप्त कर दिया था कि प्रदेश मुख्यालय के होर्डिंग पर प्रधानमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश भाजपा विधायक दल के नेता की फोटो ही लगेगी।

पिछले दिनों संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में भी प्रदेश संगठन की सिफारिश पर वसुंधरा राजे के धुर विरोधी रहे घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा भेजकर वसुंधरा राजे को तगड़ा झटका दिया गया था। हालांकि चुनाव में वसुंधरा राजे समर्थक एक विधायक शोभारानी कुशवाह ने क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस को वोट दिया था। बाकी सभी वसुंधरा समर्थकों ने पार्टी आलाकमान के निर्देशों की पालना की थी। चूंकि अगले वर्ष के आखिर में राज्य विधानसभा के चुनाव होने हैं। वसुंधरा राजे चाहती है कि पार्टी उनको नेता प्रोजेक्ट कर उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़े जबकि पार्टी आलाकमान व प्रदेश संगठन किसी भी स्थिति में ऐसा नहीं होने देना चाहता है। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ कर ही भाजपा फिर से सरकार बना सकती है। भाजपा आलाकमान का मानना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते उनको ही नेता प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ा गया था। मगर उस चुनाव में भाजपा बुरी तरह हार गई थी। भाजपा के विधायक 162 से घटकर 72 रह गए थे। ऐसे में वसुंधरा राजे का जादू अब चलने वाला नहीं है।

कुछ महीने पहले झालावाड़ जिले में संपन्न हुए जिला परिषद के चुनाव में भी क्रास वोटिंग के चलते भाजपा का जिला प्रमुख उम्मीदवार चुनाव हार गया था। झालावाड़ वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र रहा है तथा उनके पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ से कई बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में झालावाड़ से भाजपा प्रत्याशी का चुनाव हारने का पूरा जिम्मेदार वसुंधरा राजे के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह को माना गया था। जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हारने पर विरोध स्वरूप भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा दुष्यंत सिंह के सांसद कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़ भी की गई थी जिसकी शिकायत वसुंधरा राजे ने दिल्ली आलाकमान तक की थी। उसके उपरांत भी किसी कार्यकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। इससे भी वसुंधरा राजे खासी नाराज है।

हाल ही में भाजपा की एक प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का माउंट आबू में आयोजन किया गया था जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने संबोधन दिया था। मगर माउंट आबू कार्यक्रम में वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। राजनीति के जानकारों का तो यहां तक कहना है कि उस कार्यक्रम में वसुंधरा राजे को आमंत्रित ही नहीं किया गया था। कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर अपनी झेंप मिटाने के लिए वसुंधरा राजे ने उसी दौरान दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी ताकि लोगों में एक अलग मैसेज दे सकंे।

राजस्थान भाजपा में काफी नेता वसुंधरा राजे खेमे से हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पार्टी की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार कार्य कर रहें हैं। अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मौजूदा विधायकों में से वसुंधरा समर्थक कोई भी विधायक ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे आगे चलकर उनकी टिकट कटने का कारण बन सके। वसुंधरा समर्थक सभी विधायक आलाकमान की हां में हां ही मिलाएंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी लगातार राजस्थान के दौरे कर संगठन को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं। हाल ही में एक सरकारी मीटिंग में शामिल होने जयपुर आए गृह मंत्री अमित शाह भी समय निकालकर भाजपा कार्यालय जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले तथा बंद कमरे में वरिष्ठ नेताओं से मीटिंग कर सभी को एकजुटता का पाठ पढ़ाया। अमित शाह भी बार-बार यही संकेत दे रहे हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में किसी एक को नेता प्रोजेक्ट नहीं कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम व चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। चुनाव के बाद विधायकों के बहुमत की राय से नेता का चयन किया जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व जितना पार्टी को एकजुट करने का प्रयास कर रहा है। उसके उलट प्रदेश के नेता एक दूसरे की टांग खिंचाई का कोई मौका नहीं चूकते हैं।
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