स्त्री ने अपनी लज्जा खो दी
पुरुष ने अपना पौरुष
गुरुओं ने खोया आदर
शिष्यों ने संस्कार
फिर भी चुप बैठो हो भगवन
अब तो को अवतार
धरा तुम्हारी धधक रही है
पाप से धरती फट रही है
भर रहे नर हिंसा की हुंकार
फिर भी चुप बैठो हो भगवन
अब तो को अवतार
मर्यादाएं अब रही नही
हो रहा हर रिश्ते का अपमान
घर टूटा, नहीं करते किसी का सम्मान
ना रहा प्रेम, अब ना रहा व्यवहार
फिर भी चुप बैठो हो भगवन
अब तो को अवतार
राजनीती अब भ्रष्ट हो चुकी
नहीं कोई करता समाज का उद्धार
जो सत्य का सारथी बने
उठे उसके विरुद्ध सहस्त्र हथियार
फिर भी चुप बैठो हो भगवन
अब तो लो अवतार
ले अपना दशम रूप
कल्कि रूप महाविक्राल
कर दमन उन पापियों का
जो नहीं रखे तेरा मान
मयान क्यों रखी अभी भी तलवार
निकल अब कर दानवों का संहार
फिर भी चुप बैठो हो भगवन
अब तो लो अवतार
जीवित करो अपने देवदत्त को
होकर तुम उस पर सवार
ले अपने पाणी में सुधर्षण चक्र
करो इन दुष्टों का नरसहांर
अब न चुप बैठो भगवन
अवनी पर लो अवतार
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