कमल, चैहान-दोनों ऐंठ रहे मूछें

कमल, चैहान-दोनों ऐंठ रहे मूछें

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बहुत दिनों के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में ऐसा अवसर आया है जब सरकार और विपक्ष दोनों खुश नजर आ रहे हैं। राज्य में हुए नगरीय निकाय चुनाव में , जिन्हें विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट बताया जा रहा है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान और कांगे्रस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। शिवराज सिंह चैहान ने दावा किया कि पंचायत एवं नगरीय चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। नगर पंचायत एवं नगर परिषद की 80 प्रतिशत से ज्यादा सीटें भाजपा ने प्राप्त की हैं। दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कह रहे हैं कि नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम हमारे लिए बहुत उत्साहजनक हैं। कांग्रेस ने छिंदवाड़ा, जबलपुर और ग्वालियर में महापौर का चुनाव जीत लिया। हालांकि कांग्रेस के एक पार्षद ने चुनाव हारने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और उसके सबसे अमीर प्रत्याशी को पराजय का सामना करना पड़ा है। भाजपा शासित इस राज्य में पहली बार नगरीय निकाय चुनाव लड़ने वाली असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने खंडवा नगर निकाय, बुरहानपुर नगर निकाय और जबलपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। तीनों जगह कांग्रेस के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे हैं।

कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण के परिणामों पर कहा कि परिणाम कांग्रेस के लिए उत्साहजनक हैं और तीन शहरों में महापौर पद पर जीत के साथ ही कांग्रेस के पार्षदों की संख्या भी बढ़ी है। मालूम हो कि कांग्रेस ने कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा नगर निगम, जबलपुर नगर निगम और ग्वालियर नगर निगम में महापौर पद का चुनाव जीता है। इसके साथ ही बुरहानपुर और उज्जैन में कांग्रेस के उम्मीदवार 542 और 736 मतों से पराजित हुए हैं।

कमलनाथ ने कहा, हमने ग्वालियर में करीब 50 साल बाद महापौर के पद पर जीत हासिल की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर पुलिस और प्रशासन की सहायता से चुनाव जीतने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘आंकड़े आने के बाद हम भोपाल और इंदौर के नतीजों की समीक्षा करेंगे।’’ बुरहानपुर में महापौर चुनाव में कांग्रेस की कम अंतर से हार पर उन्होंने कहा कि बीजेपी की बी-टीम-असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के कारण ऐसा हुआ है। इसका खुलासा आंकड़ों से होता है। बुरहानपुर में जहां बीजेपी उम्मीदवार मात्र 542 मतों से विजयी हुई है, वहां ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी की उम्मीदवार शाहिस्ता सुहैल को 10,274 मत मिले हैं। वहीं 677 मत नोटा को भी हासिल हुए हैं।

रीवा के हनुमाना नगर पंचायत में पार्षद का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी की हार्टअटैक से मौत हो गई। हरिनारायण गुप्ता वार्ड क्रमांक 09 से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में थे। निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश गुप्ता ने 14 मतों से पराजित किया। हरिनारायण कांग्रेस पार्टी के हनुमना मंडल अध्यक्ष थे। मतगणना समाप्त होते ही जैसे ही यह खबर मिली कि वे 14 मतों से चुनाव हार गए हैं तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।

हनुमना नगर परिषद में कांग्रेस के 8 सीटें आई हैं और भाजपा 2 सीट पर जीत सकी, जबकि निर्दलीय 5 प्रत्याशी जीते हैं। हरिनारायण हनुमना नगर परिषद में अध्यक्ष के दावेदार भी थे। हरिनारायण ने पूरे चुनाव में जमकर मेहनत की थी और खूब प्रचार-प्रसार किया था। इस वजह से जीत के लिए पूरी तरह से आश्वस्त थे।

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के नगर निगम चुनावों में महापौर पद के लिए बीजेपी प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला को करीब 1।33 लाख मतों से हराया। इंदौर में इस पद पर बीजेपी का दो दशक पुराना कब्जा बरकरार रखा। बीजेपी को सबसे बड़ी जीत इंदौर से मिली। अपने जीवन में पहली बार सियासी चुनाव लड़ने वाले भार्गव को 5,92,519 वोट मिले जबकि मौजूदा कांग्रेस विधायक शुक्ला को 4,59,562 मतों से संतोष करना पड़ा। केवल 12वीं तक पढ़े शुक्ला ने चुनावी हलफनामे में अपनी और पत्नी की कुल 170 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई थी। वह सूबे के 16 नगर निगमों में हुए चुनावों में महापौर पद के उम्मीदवारों में सबसे अमीर थे। इंदौर में बीजेपी के बिल्कुल नए उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव को मैदान में उतारा था और उन्होंने 1 लाख से भी ज्यादा मतों से विजय हासिल की। भार्गव की जीत सुनिश्चित होते ही भाजपा समर्थकों ने मतगणना स्थल नेहरू स्टेडियम के बाहर जश्न मनाया। कार्यकर्ताओं ने भार्गव को कंधे पर बैठा लिया। महापौर पद पर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपने नाम की अधिकृत घोषणा से महज दो घंटे पहले, भार्गव ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पद से इस्तीफा दिया था और चुनावी राजनीति में पहला कदम रखा था। भार्गव, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय तौर पर जुड़े रहे हैं। उधर, शुक्ला चुनाव प्रचार में खुद को अक्सर ‘लक्ष्मीपुत्र’ बताते थे। मतदाताओं से उन्होंने राज्य के सबसे बड़े शहर इंदौर का महापौर बनने पर ‘अपनी जेब से’ पांच ओवरब्रिज बनवाने और कोविड-19 के मरीजों तक 20,000-20,000 रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचाने का बहुचर्चित वादा किया था।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने दावा किया कि पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर नगर पंचायत चुनाव में प्रदेश में बराबरी की स्थिति रहती थी, लेकिन इस बार नगर पंचायत एवं नगर परिषद की 80 प्रतिशत से ज्यादा सीटें भाजपा ने प्राप्त की हैं।’’ मध्य प्रदेश में छह जुलाई को प्रथम चरण में हुए 44 जिलों के 133 नगरीय निकाय के लिए मतगणना 17 जुलाई को हुई। इन नगरीय निकायों में भोपाल एवं इंदौर नगर निगम सहित 11 नगर निगम, 36 नगरपालिका परिषद और 86 नगर परिषद शामिल हैं।

चुनाव परिणामों से गदगद चैहान ने बीजेपी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘‘गांवों और शहरों में हमें जीत मिली है। ‘‘इतने वर्षों से हम इन चुनावों को जीतते थे, लेकिन 55-45 का अनुपात रहता था। इस बार इतिहास रचा है। इस बार बीजेपी ने नगर पालिका में शानदार जीत हासिल की है।’’ चैहान ने कहा, ‘‘हम सात नगर निगम चुनाव जीते हैं जबकि तीन में कांग्रेस और एक में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है।’ चैहान ने कहा, ‘‘वार्डों के चुनाव में ग्वालियर, जबलपुर एवं सिंगरौली में भी भाजपा को बहुमत प्राप्त हो गया है। ग्वालियर में 66 में से 36 पार्षद हमारे जीते हैं और कांग्रेस के केवल 13 पार्षद हैं। जबलपुर में 79 में से 39 भाजपा के जीते हैं और कांग्रेस के केवल 30 पार्षद जीते हैं। सिंगरौली में 45 में से 23 पार्षद भाजपा के जीते हैं और कांग्रेस के केवल 13 पार्षद जीते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस जहां महापौर में जीती है, वहां पार्षद में हारी है। हम जहां महापौर का चुनाव जीते हैं, वहां सम्पूर्ण नगर निगम जीते। महापौर भी हमारा और पार्षद (में बहुमत) भी हमारा।’’
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