गंगा दशहरा
इठलाती बलखाती बहती गंगा की पवित्र धारा
गंगोत्री से संगम तक आस्था विश्वास भरा प्यारा
तन मन निर्मल विमल करे सबके पापों को हरति
भागीरथी मोक्षदायिनी उर उमंगे साहस भरती
अविरल बहती पुण्यधारा अमृत रस बरसाती है
सद्भाव भरी नेह गंगा काव्यधारा कहलाती है
चमक उठते भाग्य सितारे पावन गंगा स्नान से
खुल जाते किस्मत के ताले हरि भजन ध्यान से
गंगा तट सुंदर नजारा मनभावन सा लगता है
देवता निवास करे पावन स्वर्ग सा दिखता है
भूतल पर स्वर्ग से उतरी गंगा की पवित्र धारा
सबका कल्याण करती नमो नमो हे गंग धारा
हर्ष खुशी आनंद दे गंगा धारा की पावन लहरें
जीवन में आलोक भरे लहराते वन हो हरे भरे
रमाकांत सोनी नवलगढ़
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