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मोह

 मोह

मोह माया के जाल में, 
फंस जाता रे इंसान। 
लोभ मोह तज जरा, 
जीवन संवारिये।

कोई पुत्र मोह करें, 
कोई दौलत का लोभ।
लालच के अंधे बने,
पट्टिका उतारिए। 

ना बांधो मोहपाश में, 
करना है शुभ काज।
सद्भावों के फूल खिला,
चमन खिलाइए।

ना काया से ना माया से, 
मोह बंधन छोड़िए। 
प्रीत करनी है करिए, 
हरि को पुकारिये।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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