जैविक कला और कलाकार

जैविक कला और कलाकार

---:भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र'अणु'
----------------------------------------
ईश्वर की कला के कम या अधिक होने के कारण जीवों की शक्ति और प्रभाव में अंतर पाया जाता है|ईस संसार में उद्भिज,स्वेदज,अंडज,पिंडज और जरायुज नाम से पाँच जीव योनियां है।जिनकी चेतना का तारतम्य परमात्म प्रभु की कलाओं से ब्यक्त होता है---१)उद्भिज---तृण से तरू परयंत पदार्थों में भी निद्रा,स्नेह,द्वेष के प्रभाव को ग्रहण करने की क्षमता होती है|यहाँ केवल एक कोश"अन्नमय"का विकास होता है|ये उद्भिज एक कला से युक्त होते है|२)स्वेदज---स्वेदज योनि वाले प्राणियों में"अन्नमय और प्राणमय"नाम के दो कोश होते है|दो कला से सम्पन्न होने के कारण ये सक्रिय होते है|३)अंडज--अंडा से उत्पन्न होने वाले जीवों में"अन्नमय,प्राणमय तथा मनोमय"नाम के तीन कोश होते है|ये तीन कला से युक्त होने के कारण संकल्प-विकल्प से युक्त होते हैं|४)पिंडज---पिंडज जीवों में"अन्नमय,प्राणमय,मनोमय के साथ विग्यानमय"नामक कोश की अधिकता होती है|पिंडज प्राणी बुद्धि समपन्न होते है|पिंडजों के पास चार कला है|५)जरायुज---मनुष्य जरायुज प्राणी है|मनुष्य में"अन्नमय,प्राणमय,मनोमय,विज्ञानमय के साथ आनंदमय"नामक कोश की अधिकता है|केवल मनुष्य हीं हर्ष,शोक,आनंद आदि भावों को ब्यक्त करने में समर्थ है|जरायुज के पास पाँच कलाएँ होती है|यह अपनी एषणा,भावनाऔर संकल्प के द्वारा महात्मा तक बन जाता है|८ कला धारक परसुराम बन जाता है|१२कला धारक राम जबकि१६ कला धारण कर पूर्णब्रह्भ परमात्मा बन जाता है|पर मानव शरीर ७कला से उपर की शक्ति को वहन करने में समर्थ नहीं हो पाता है|ईसके लिए जन्म और कर्म दोनो दिव्य होना चाहिए|"जन्म कर्म च मे दिव्यम"का तभी सार्थक उद्घोष है|
----------------------------------------वलिदाद,अरवल(विहार)८०४४०२.
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ