रक्षाबंधन: स्नेह, विश्वास और भारतीय संस्कृति का अनमोल धागा
डॉ. संगीता सागर
भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन सिर्फ आनंद और उल्लास का पर्व नहीं है, बल्कि मानवीय रिश्तों की गरिमा, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का पर्व है, जिसे हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है "रक्षा का बंधन"।
इस पावन अवसर पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम का एक पवित्र धागा बाँधती हैं। यह मात्र एक धागा नहीं होता, बल्कि इसके माध्यम से बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन को जीवन भर रक्षा करने और उसके हर सुख-दुःख में साथ खड़े रहने का वचन देता है।
रक्षाबंधन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है और इसका उल्लेख हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इंद्र और इंद्राणी की कथा: देवासुर संग्राम के दौरान जब देवराज इंद्र असुरों से पराजित होने लगे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने उनकी कलाई पर एक पवित्र धागा बाँधा था। इस धागे के प्रभाव से इंद्र विजयी हुए। यह कथा दर्शाती है कि एक पत्नी का अपने पति के लिए विश्वास और सुरक्षा का बंधन कितना शक्तिशाली हो सकता है।द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा: महाभारत काल में जब शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बाँध दी थी। द्रौपदी के इस निःस्वार्थ प्रेम से अभिभूत होकर श्रीकृष्ण ने आजीवन उसकी रक्षा करने का वचन दिया, जिसे उन्होंने चीर हरण के समय निभाया। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि प्रेम और कृतज्ञता का बंधन रक्त संबंध से भी बढ़कर हो सकता है। ये कथाएँ दर्शाती हैं कि रक्षाबंधन मात्र एक लोकपर्व नहीं, बल्कि सनातन मूल्यों जैसे प्रेम, त्याग, विश्वास, सुरक्षा और कर्तव्यों का प्रतीक है। यह केवल रक्त संबंधों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समाज में सुरक्षा, सहायता और सम्मान जैसे मानवीय मूल्यों को स्थापित है।आज के इस भाग-दौड़ भरे जीवन में भी रक्षाबंधन का महत्व कम नहीं हुआ है। यह दिन भाई-बहनों को एक-दूसरे के करीब लाता है और बचपन की यादों को ताज़ा करने का अवसर प्रदान करता है। जो भाई-बहन दूर रहते हैं, वे ऑनलाइन या कूरियर से राखियाँ भेजकर इस बंधन को निभाते हैं। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि दूरियाँ कभी भी रिश्तों की डोर को कमज़ोर नहीं कर सकतीं।रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति की एक अनमोल धरोहर है। यह सिर्फ धागों का त्योहार नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि जीवन की यात्रा में हमें हमेशा एक-दूसरे के सहारे की आवश्यकता होती है। यही परस्पर सहयोग और स्नेह हमारे समाज को मजबूत बनाता है। रक्षाबंधन का पर्व हमें मानवीय संबंधों की गरिमा और महत्व बनाए रखने की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि रिश्ते सिर्फ कहने भर को नहीं होते, बल्कि उनमें विश्वास, त्याग और समर्पण की भावना निहित होती है, जो समाज को अधिक मानवीय और एकजुट बनाती है। मुजफ्फरपुर, बिहार
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