स्वा. सावरकरजी के विचारों की उपेक्षा करने के कारण ही पाक और बांग्लादेश जैसे देश कुरापत कर रहे हैं ! - श्री. नरेंद्र सुर्वे

स्वा. सावरकर जयंती निमित्त ‘वीर सावरकर की दृष्टि से वर्तमान भारत’ इस विषय पर संवाद !

स्वा. सावरकरजी के विचारों की उपेक्षा करने के कारण ही पाक और बांग्लादेश जैसे देश कुरापत कर रहे हैं !
 - श्री. नरेंद्र सुर्वे

      स्वतंत्रता वीर सावरकर दूरदर्शी क्रांतिकारी थे । भारत को स्वतंत्रता मिलने के उपरांत चीनपाकिस्तान जैसे आसपास के देशों की स्थिति को देखते हुए भारत की सुरक्षा की दृष्टि से विदेश नीति क्या होनी चाहिएइस विषय में उन्होंने सजगता से विचार प्रस्तुत किए थे । देश की सीमा सुरक्षित रहने के लिए भारतीय युवकों का सैनिकीकरण होना चाहिएयह स्वंतत्रतावीर सावरकरजी की भूमिका थी । उन्होंने गांव गांव जाकर इससे संबंधित बडी मात्रा में कार्य किया । दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता के पश्चात गत 70 वर्षाें में राज्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता वीर सावरकरजी के इन विचारों की उपेक्षा की । परिणामस्वरूप तेजस्वी धरोहर प्राप्त महान भारत की भूमि चीन ने हडप ली तथा पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे छोटे देश कुरापात कर रहे हैंऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्रीनरेंद्र सुर्वे ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘वीर सावरकर की दृष्टि से वर्तमान भारत’इस ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

       इस समय सुप्रसिद्ध व्याख्याता तथा लेखक श्रीदुर्गेश परुळकर ने कहा कि, सावरकरजी सदैव व्यक्तिगत हित के स्थान पर राष्ट्र का हित और राष्ट्र की सुरक्षा को ही सर्वाेच्च प्राथमिकता देते थे और इस कारण उन्हें समझना लोगों को कठिन लगता है । सावरकरजी कहते थे ‘राष्ट्र का हित देखनेवाला ही मेरा मित्र तथा अहित देखनेवाला मेरा शत्रु है ।’ सावरकरजी के चरित्र का प्रत्येक युवक को अध्ययन करना चाहिए । युवकों ने उनके गुण साध्य करने के लिए नहींअपितु राष्ट्र उद्धार के लिए यह अध्ययन करना चाहिए । राष्ट्र के उद्धार का ध्येय रखकर समर्पित होना चाहिए । मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करना हमारे स्वाभिमान और अस्तित्व का प्रश्न है । राष्ट्रभक्ति,  राष्ट्रप्रेमराष्ट्रनिष्ठा का त्याग करना राष्ट्रद्रोह है । स्वदेशी का आचरण कर हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए ।

      इस समय ‘इतिहासाच्या पाऊलखुणा’ नामक संस्था के सचिव अधिवक्ता शुभंकर ने कहा किविदेश में जानेवाले युवकों ने स्वासावरकरजी के समान राष्ट्रप्रेम को प्राथमिकता देनी चाहिए । स्वासावरकर उनकी क्रांतिकारी संस्था ‘अभिनव भारत’ का कार्य बढाने के लिए विदेश गए थे । विदेश में जानेवाले युवक मातृभूमि से निष्ठा कायम रखकर विद्या का उपयोग देश के हित के लिए करें । जातिजाति में विभाजित हिन्दुओं को आज एकत्रित लाना चाहिए । धर्मांतरित हिन्दुओं की‘घरवापसी’ को महत्त्व देना चाहिए ।
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