जालियांवाला बाग के शहीदों को मोदी व योगी का नमन

जालियांवाला बाग के शहीदों को मोदी व योगी का नमन

लखनऊ। जलियांवाला बाग की 103वीं बरसी पर आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मोदी आदित्यनाथ ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। पीएम मोदी ने ट्वीट पर लिखा 1919 में आज ही के दिन जलियांवाले बाग में शहीद होने वाले लोगों को श्रद्धांजलि। उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। इसी प्रकार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया- देश की स्वतंत्रता हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले जलियांवाले बाग के अमर बलिदानियों को नमन। माँ भारती के वीर सपूतों का बलिदान स्थल जलियांवाला बाग चिरकाल तक हर भारतवासी के हृदय राष्ट्र सेवा की ज्योति जागृत करता रहेगा। इस घटना को देशवासियों ने स्मरण कर बलिदानियों को नमन किया है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड ब्रिटिश क्रूरता का प्रतीक है। हजारों की तादाद में लोग बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में जमा हुए थे। वे लोग शांति के साथ प्रदर्शन कर रहे थे और सभी निहत्थे थे लेकिन दमनकारी सत्ता को हथियारबंद आंदोलन से ज्यादा निहत्थे लोगों का प्रदर्शन चुभता है। ऐसा ही जलियांवाला बाग हत्याकांड मामले में भी हुआ। निहत्थे और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को गोलियों से भून दिया गया। जलियांवाला बाग बेकसूरों के खून से भर गया लेकिन जलियांवाला बाग में भारतीयों की कुर्बानी बेकार नहीं गई। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में बड़े बदलाव का कारण बनी। पहले विश्वयुद्ध में भारतीयों ने ब्रिटिश सेना की भरपूर मदद की थी। अकेले अविभाजित पंजाब से करीब 4 सालों तक चले युद्ध में 3,55,000 सैनिकों ने हिस्सा लिया था। भारत के लोगों को उम्मीद थी कि युद्ध में मदद का बदला ब्रिटिश सरकार देगी, सख्त कानूनों को आसान बनाएगी, भारत को अधिक राजनीतिक स्वायत्तता देगी और युद्ध से लौटने वाले सैनिकों को रोजगार मुहैया कराएगी। लेकिन हुआ इसके विपरीत। ब्रिटिश सरकार ने रॉलट ऐक्ट जैसा काला कानून पास किया। वहीं पंजाब में फसलें तबाह होने से खाने की चीजों की कमी हो गई और कीमतें आसमान छूने लगीं। इससे पूरे भारत और खासतौर पर पंजाब के लोगों में काफी आक्रोश फैल गया।रॉलट ऐक्ट का भारत में जबर्दस्त विरोध हुआ। गांधीजी ने अप्रैल की शुरुआत में पूरे देश में हड़ताल का आह्वान किया। इसी बीच खबर फैल गई कि भारतीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनको शहर से गायब कर दिया गया है। इस खबर का असर यह हुआ कि 10 अप्रैल को अमृतसर में हिंसा भड़क गई। ब्रिटिश सैनिकों ने हिंसा का जवाब गोली से दिया। आम नागरिकों पर गोलियां चला दीं। इस पर भीड़ और भड़क गई। बिल्डिंगों में लूटपाट की गई और आग लगा दी गयी। आक्रोशित भीड़ ने कई विदेशी नागरिकों को भी पीटा। स्थिति से निपटने का काम ब्रिगेडियर जनरल रेगिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर यानी जनरल डायर को सौंपा गया। इसके बाद लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई।
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