मान तय करें प्राथमिकता

मान तय करें प्राथमिकता

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

पंजाब में एक नया राजनीतिक युग शुरू हुआ है। अब तक वहां कांग्रेस और अकाली दल अपनी विशुद्ध कुर्सी राजनीति को चला रहे थे। आम आदमी पार्टी पर कुछ लोगों को तो भरोसा है, वरना दिल्ली में लगातार तीन बार और पंजाब में दो बार जनता उसके पक्ष में मजबूती से नहीं खड़ी होती। पंजाब में 2017 में आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल थी और इस बार प्रचण्ड बहुमत मिला, ठीक उसी तरह जैसे दिल्ली की जनता ने दिया है। इसलिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को अपनी प्राथमिकता तय करनी होगी क्योंकि अभी हाल में उन्हांेने (मान ने) जो कदम उठाए हैं, उनसे ऐसा लगता है कि वे जनता के लिए कुछ करना चाहते हैं लेकिन केन्द्र सरकार से भी उलझ रहे हैं। चण्डीगढ़ का मामला अभी विवादित है, इसलिए उसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। भगवंत मान चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केन्द्रीय सेवा नियमों को लागू करने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने चण्डीगढ़ पंजाब को देने का प्रस्ताव भी विधानसभा में पेश कर दिया है। दूसरी तरफ भगवंत मान पंजाब में युवाओं को नशे से मुक्ति दिलाने और उनको रोजगार देने का वादा करके सत्ता में आए हैं। शिक्षा व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं। जनहित में इन्हीं कार्यों को प्राथमिकता देना उनके हित में रहेगा। पंजाब के हालात दिल्ली से अलग हैं। वहां केन्द्र सरकार का हस्तक्षेप ढाल बन सकता है लेकिन पंजाब अगर बिगड़ेगा तो मान के पास कोई बहाना नहीं होगा।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अगले शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से कुछ दिन पहले सभी निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने या बच्चों को चुनिंदा दुकानों से किताब, पोशाक या स्टेशनरी का सामान खरीदने के लिए मजबूर करने के खिलाफ निर्देश जारी किया है। मान ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन यह महंगा हो गया है, जिससे इसका खर्च वहन कर पाना मुश्किल हो गया है। मान ने एक वीडियो संदेश में घोषणा करने से पहले कहा, “आज मैं दो बड़े फैसलों की घोषणा करने जा रहा हूं जो हमारी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र से संबंधित लिये हैं।” मान ने कहा, “पंजाब में कोई भी निजी स्कूल इस सेमेस्टर में फीस नहीं बढ़ाएगा, जब नए दाखिले होंगे।” उन्होंने कहा कि राज्य का कोई भी निजी स्कूल बच्चों या उनके अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से किताब, पोशाक और स्टेशनरी का सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों को बच्चों और उनके अभिभावकों को स्टेशनरी का सामान, किताब और यूनिफॉर्म बेचने वाली सभी दुकानों का पता देना होगा। मान ने कहा, “यह माता-पिता पर निर्भर करता है कि वे अपने बच्चों के लिए इन वस्तुओं को कहां से खरीदना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि फैसले तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में विस्तृत नीति जल्द ही जारी की जाएगी। इससे पहले 19 मार्च को मान ने पुलिस विभाग में 10,000 पदों सहित राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में 25,000 रिक्तियों को भरने की घोषणा की थी।

इस प्रकार पंजाब में सत्ता संभालने के बाद सीएम भगवंत मान ने स्कूली शिक्षा को लेकर दो बड़े फैसले लिये हैं। अपने पहले निर्णय में उन्होंने निजी स्कूल के फीस बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी है, साथ ही दूसरे फैसले में मुख्यमंत्री ने यह आदेश दिया है कि कोई भी स्कूल किसी खास दुकान से किताब और ड्रेस खरीदने का दबाव नहीं डालेगा। बच्चों के पैरेंट्स अपनी सुविधा के अनुसार कहीं से भी बुक और यूनिफॉर्म खरीद सकेंगे। प्राइवेट स्कूल के फीस बढ़ाने पर रोक लगाने फैसले के बाद अब इस सत्र में होने वाले एडमिशन में स्कूल फीस में बढ़ोतरी नहीं होगी। इन फैसलों को लेकर पंजाब सरकार जल्द ही पॉलिसी बनाकर जारी कर देगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि शिक्षा महंगी होने के कारण आम लोगों की पहुंच से दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि, महंगी फीस के कारण माता-पिता को बच्चों को स्कूल से निकालना पड़ रहा है और बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने शिक्षा से जुड़े यह 2 अहम निर्णय लिये हैं। राज्य सरकार ने पंजाब के सभी प्राइवेट स्कूल को आदेश दिया है कि वे इस सत्र में एक रूपया भी फीस नहीं बढ़ाएंगे और यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू करेंगे। बता दें कि दिल्ली की तरह पंजाब में भी शिक्षा का मुद्दा आम आदमी पार्टी के एजेंडे में सबसे ऊपर था। पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के स्कूल तंत्र को सुधारने और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का वादा किया था। बताया जाता है कि पंजाब चुनावों में मिली प्रचंड जीत के पीछे आम आदमी पार्टी के लिए शिक्षा एक बहुत बड़ा फैक्टर रहा है। भगवंत मान केन्द्र से भी टकरा रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक दिवसीय पंजाब विधानसभा विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान केंद्र शासित प्रदेश को पूरी तरह पंजाब को देने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान चंडीगढ़ के मामलों से संबंधित यह प्रस्ताव लाए हैं जिस पर चर्चा हुई। इससे पूर्व स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने राणा गुरजीत सिंह और उनके बेटे राणा इंद्र प्रताप सिंह को विधायक के तौर पर शपथ दिलाई। एक दिन के सत्र के लिए विधानसभा की कार्य सूची में कहा गया था कि मुख्यमंत्री मान केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से संबंधित मामलों के संबंध में एक प्रस्ताव पेश करेंगे। मान ने पहली ही कहा था कि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा था कि पंजाब चंडीगढ़ पर अपने दावे के लिए लड़ेगा। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के केंद्र के हालिया फैसले पर पंजाब में आप, कांग्रेस और शिअद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई नेताओं ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के नियमों में बदलाव के बाद यह पंजाब के अधिकारों के लिए एक और बड़ा झटका है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस कदम से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो जाएगी और महिला कर्मचारियों को वर्तमान एक वर्ष के बजाय दो साल की चाइल्ड केयर लीव मिलेगी। इस बीच कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने राज्य के संघीय अधिकारों को हड़पने के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न प्रयासों को विफल करने के लिए भगवंत मान से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। खैरा ने कहा कि मान को तुरंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब सहित देश के हर राज्य ने अपनी शक्तियां भारत के संविधान से ली हैं। खैरा ने कहा कि हमारे संविधान के निर्माताओं ने केंद्र और राज्य दोनों में निहित शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और निर्धारित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के सेवा नियमों को लागू करने का एकतरफा फैसला पंजाब के पुनर्गठन अधिनियम 1966 का पूरी तरह से उल्लंघन है। उन्होंने दावा किया कि यह न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि चंडीगढ़ पर पंजाब के वैध अधिकार को भी कमजोर करता है। भगवंत मान अगर इस विवाद में उलझ गये तो राज्य की जनता से किये वादे पूरे करने मुश्किल होंगे।
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