जल्द जाने के करने बहाने लगे


जल्द जाने के  करने  बहाने लगे

स्वप्न में  तुम मेरे  आने-जाने लगे।
और मुझे  देखकर  मुस्कुराने लगे।। 

देर से  ही सही  तुम मिले  तो सही।
जब मिले सच कहूं तो खज़ाने लगे।। 

चैन  मिलता नहीं  अब तुम्हारे बिना।
कान में  कहके हॅस-हॅस बताने लगे।। 

तोड़कर दिल  अकेला  मुझे  छोड़कर।
चैन  की   आप बंशी  बजाने लगे ।। 

पास में  बैठकर  पल  बिताया नहीं।
जल्द  जाने के  करने  बहाने लगे।। 

रूठ जाओ न फिर से यही सोचकर।
आपके  नाज़-नखरे  उठाने लगे।। 

ऑख से ऑख ने बात की 'जय' तभी।
हाल अपने   दिलो के   सुनाने  लगे  ।।
                *
~जयराम जय
पर्णिका,बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,
कल्यापुर,कानपुर -20817(उ,प्र.)
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