योगी का आरोग्य अभियान

योगी का आरोग्य अभियान

(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

कुछ दिन पहले भाजपा ने अपना स्थापना दिवस मनाया। कहा गया कि यह विचारधारा पर आधारित पार्टी है। इसमें अंत्योदय का विचार भी शामिल है। भाजपा की सभी सरकारें प्रतिबद्धता के साथ इस दिशा में कार्य कर रही है। प्रारंभ में ही नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों के प्रति समर्पित बताया था। वस्तुतः यह समर्पण ही अंत्योदय का मूलमंत्र है। इसका उद्देश्य गरीबों वंचितों को विकास की मुख्य धारा में शामिल करना है। इसके अंतर्गत अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसका सीधा लाभ जरूरतमंदों को मिल रहा है। इन योजनाओं में बिचैलियों की कोई भूमिका नहीं है। आरोग्य अभियान के मूल में भी यही विचार है। इसमें आरोग्य सुविधा के साथ ही फिट इंडिया व सुपोषण जैसे अभियान भी शामिल है। इस भावना के अनुरूप योगी सरकार ने आरोग्य मेलों की शुरुआत की थी। समाज के अंतिम पायदान के लोगों को चिकित्सा सुविधा सुलभ कराने के लिए दो वर्ष पहले मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला की शुरुआत की गई थी। इसमें एक ही स्थान पर चिकित्सकीय परामर्श, जांच व दवाओं की निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को इसका विशेष लाभ मिल रहा है। बड़ी संख्या में लोग आरोग्य मेले में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठा रहे है।

कोरोना की तीसरी लहर के दौरान आरोग्य मेलों पर अस्थाई रोक लगाई गई थी। चैत्र नवमी को इसका पुनः शुभारंभ किया गया। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ ने आरोग्य मेले को पुनः प्रारंभ किया। प्रदेश के करीब पैतीस सौ केंद्रों में अब तक करीब चैरानबे लाख लोगों का उपचार किया गया। करीब डेढ़ लाख गंभीर मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया गया। आरोग्य मेले के दौरान साढ़े आठ लाख से अधिक गोल्डन कार्ड भी बनाए जा चुके हैं। योगी आदित्यनाथ स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और उनको प्रभावी बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है। नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से लेकर पूरे प्रदेश में आरोग्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें स्थानीय लोगों तक स्वास्थ सेवा पहुंचाई जा रही है। आरोग्य मेले अभियान के रूप में आमजन तक पहुंच रहे है। इसके प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से योगी ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इसके माध्यम से प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य परीक्षण पैथोलाॅजिकल जांच, स्वास्थ्य परामर्श, शिशु स्वास्थ्य व टीकाकरण सम्बन्धी जागरूकता एवं परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत निःशुल्क गोल्डन कार्ड बनाने की सुविधाएं भी प्रदान की गयी हैं। किसी देश के समग्र विकास में स्वास्थ्य भी शामिल है। इसमें स्वस्थ जीवन शैली का समावेश है। भारतीय चिंतन में भी यही संदेश दिया गया। प्राचीन भारत के ऋषियों ने सभी के लिए जीवेत शरदः शतम की कामना की थी, अच्छे स्वास्थ्य को सबसे बड़ी पूंजी बताया था। इसके लिए आहार, विहार,योग,यम, प्राणायाम का मंत्र दिया। उस अनाज के सेवन का संदेश दिया जिसे मोटा अनाज नामकरण से उपेक्षित किया गया। प्रकृति के निकट रहने, उसके संरक्षण व संवर्धन का सुझाव दिया। गौ दुग्ध का महत्व बताया। इसलिए गौ सेवा का मंत्र दिया। आधुनिकता की दौड़ में यह सभी विचार पीछे छूटते गए, बीमारियां बढ़ती गई, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती गई।

समय के साथ दुनिया को इस भूल का अनुभव हो रहा है। ऐसे में भारत की ओर सबका ध्यान आकृष्ट हो रहा है। अब वही मोटा अनाज प्रमुख होता जा रहा है। आयुर्वेद के सूत्र उपयोगी लग रहे हैं। हल्दी, सहजन, तुलसी, काढ़ा, गाय का दूध, योग आदि बहुत कुछ अब आधुनिक जीवन शैली की पहचान बनते जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया अभियान शुरू किया था। इसके अंतर्गत देश में अनेक कार्यक्रम व योजनाएं चलाई गई। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। बीमारी की दशा में उचित उपचार की व्यवस्था की जा रही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश को समर्थ और सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित करने की परिकल्पना को साकार करने के लिए महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक है। इसके

दृष्टिगत प्रधानमंत्री द्वारा देश में प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत अनेक प्रकार की गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाएगा। पोषण माह के प्रथम सप्ताह में पोषण वाटिका की स्थापना हेतु पौधरोपण अभियान संचालित किया जाएगा। इसके तहत सरकारी स्कूलों,आवासीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों,ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पौधरोपण किया जाए। माह के दूसरे सप्ताह में योग एवं आयुष से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान किशोरियों,बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए योग सत्रों का आयोजन किया जाएगा। तृतीय सप्ताह के दौरान पोषण सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री, अनुपूरक पोषाहार वितरण आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे।

आरोग्य मेले में सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा और लोगों में उत्तम स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी। जिन लोगों के स्वास्थ्य कार्ड बनने से रह गए हैं, वे बनवाकर इसका लाभ उठाएं। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने के लिये राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में संसाधन सम्पन्न सौ बेड के उच्चीकृत अस्पताल बनाए जाएंगे। साथ ही, प्रदेश के प्रत्येक विकास खण्ड क्षेत्र में तीस बेड के बेहतरीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लोगों की सेवा हेतु उपलब्ध कराने की कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रदेश सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश में इलाज का एकमात्र केंद्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर था। वर्तमान प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज बीआरडी मेडिकल कॉलेज बहुत अच्छे ढंग से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए गोरखपुर में एम्स भी क्रियाशील हो गया है। जनपद देवरिया, सिद्धार्थनगर व बस्ती में नए मेडिकल कॉलेज सेवाएं दे रहे हैं। जनपद कुशीनगर में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। जनपद महराजगंज में मेडिकल कॉलेज बनाने की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। चालीस वर्षों में इंसेफेलाइटिस को समाप्त नहीं किया जा सका था। इसके इलाज के लिए संसाधन तक नहीं थे। केन्द्र व राज्य सरकार ने मिलकर सिर्फ चार साल में इंसेफेलाइटिस को समूल उखाड़ने में सफलता हासिल की है। मस्तिष्क ज्वर अब नाममात्र का रह गया है। सतर्कता और सामूहिक प्रयासों से अगले एक दो वर्षों में इंसेफेलाइटिस रोग हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। सरकार हर घर नल योजना क्रियान्वित कर रही है। जिससे जलजनित बीमारियों में कमी आएगी। स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत प्रत्येक जरूरतमंद के घर में शौचालय बनाए जा रहे हैं। अब तक प्रदेश में दो करोड़ इकसठ लाख लोगों के घरों में शौचालयों का निर्माण कराया गया है।
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