सोने की लंका में आ गयी कंगाली स्कूली किताबों की छपायी के लिए नहीं मिला कागज

सोने की लंका में आ गयी कंगाली स्कूली किताबों की छपायी के लिए नहीं मिला कागज

कोलंबो। श्रीलंका में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। करीब 2.2 करोड़ आबादी वाले श्रीलंका की इकोनॉमी पहले से मुश्किल में थी। चीन के कर्जजाल में फंसकर यहां अब हालात बेकाबू हो गए हैं। दूध, ब्रेड, चीनी, चावल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान में पहुंच गए हैं। आबादी के बड़े हिस्से के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल हो गया है। आलम ये है कि स्कूल की किताबें छपवाने के लिए इस देश के पास कागज तक नहीं है। आइए जानते हैं आखिर सोने की लंका कहे जाने वाले श्रीलंका की यह हालत कैसे हो गई? श्रीलंका के शैक्षिक प्रकाशन विभाग के आयुक्त जनरल पी.एन. इलपेरुमा ने कहा है कि कागज और अन्य संबंधित सामान की कमी के कारण स्कूली किताबों की छपाई में देरी हो रही है। डेली मिरर की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। उन्होंने डेली मिरर को बताया कि देश में मौजूदा ईंधन संकट के कारण स्कूलों को छपी हुई किताबों के वितरण में भी देरी हो रही है। फ्यूल के लिए पंप पर लंबी लाइन लग रही हैं। सरकार के खिलाफ लोगों के उग्र विरोध की खबरें आ रही हैं। सिचुएशन कंट्रोल में करने के लिए सरकार ने गैस स्टेशनों पर मिलिट्री तैनात कर दी है। एक दर्जन से ज्यादा शरणार्थियों के तमिलनाडु पहुंचने की खबर है। श्रीलंका अपनी जरूरत ज्यादातर चीजें आयात करता है। इसमें दवा से लेकर ऑयल तक शामिल हैं। उसके कुल आयात में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी पिछले साल दिसंबर में 20 फीसदी थी। पिछले कुछ समय से श्रीलंका की सरकार जरूरी चीजों का आयात करने में नाकाम रही है। इससे वहां जरूरी चीजों की किल्लत हो गई है।
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