राजनीति ' लूट ' की संस्कृति बन गई है !

राजनीति ' लूट ' की संस्कृति बन गई है ! 

[ आइए 1-1 पुराने चेहरे को बदलें  ] 
" राजनीति को विरासत समझ बैठे हैं ,
भ्रष्टाचार को सियासत समझ बैठे हैं ,
सत्ता के नशे में इतने चूर हैं ये नेता कि
देश को अपनी रियासत समझ बैठे हैं ! "   @ ०१ 

" चुनाव प्रचार में ख़ूब वादे करते हैं ,
समाज सेवा की खातिर ज़ाहिर इरादे करते हैं ,
बदल जाते हैं चुनाव के बाद
राजनेता राजनीति और चापलूसी पसंद करते हैं "  @ ०२ 

" भ्रष्टाचारी बैठे हैं सरकार में , 
कमी आएगी कैसे भ्रष्टाचार में ,
पोलिटिकल स्टेटस जिसका ऊंचा होगा ,
सियासत का पहुंचा हुआ खिलाड़ी होगा ,
इस राजनीति में वही ईमानदार मिलेगा , 
जो राजनीति में अभी अनाड़ी होगा ! " @  ०३ 

(  राजनीतिक एवं प्रशासनिक सुधार , समय की मांग है 
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