है स्वतंत्र गणतंत्र हमारा

है स्वतंत्र गणतंत्र हमारा               बहनों ने राखी अपनी तो माँ  ने  गोद  लूटायी  है।

तब जाकर भारत माता ने यह आजादी पायी है।।

मातृभूमि के हवनकुंड में जीवन अर्पण कर डाला।
शोणित से सींचा धरती को लाल रंग में रंग डाला।।
नहीं मुफ्त की आजादी अनमोल रत्न सब खोये हैं।
देश धर्म की  रक्षा  में  नरमुंड  धरा  पर  बोये  हैं।।

चुरी कंगन काजल बिंदी मेंहदी  सिंदूर  मिटायी  है।
तब जाकर भारत माता ने यह  आजादी  पायी  है।

है स्वतंत्र  गणतंत्र  हमारा  वीरों  के  बलिदानों  से।
भगत राजगुरु सुखदेव  शेखर  जैसे  दिवानों  से।।
सुभाष टैगोर  तिलक अश्फाक खान मस्ताना था।
हर हर महादेव बोल पहना  केसरिया  बाना  था।।

रणचंडी लक्ष्मीबाई ने  मिट्टी  की  लाज  बचायी  है।
तब जाकर भारत माता ने यह आजादी  पायी  है।।

जलियांवाला बाग साक्ष्य वह साक्षी  हल्दीघाटी  है।
साक्षी है  चित्तौड़  दुर्ग  रणवीरों  की  परिपाटी  है।।
कितने धूर्त सिकंदर के मद को पोरस ने चूर किया।
सत्रह बार मुहम्मद गोरी के घमंड को  चूर  किया।।

कितने पद्मिनियों ने मिलके जौहर  साथ रचायी  है।
तब जाकर भारत माता ने यह  आजादी  पायी  है।।

नाम शिवाजी का सुनकर नहीं मुगल सो पाता था।
राणा के डर से तो अकबर रोता था चिल्लाता था।।
गोरों से लड़कर छीना इन  बस्ती के अधिकारों को।
बाल वृद्ध ने हवा दिया था आजादी  के नारों को।।

अस्सी साल के कुंवर सिंह गोरो को धूल चटायी है।
तव जाकर भारत माता  ने यह आजादी पायी है।।
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उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा बिहार
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