मेरे गीत समय की धारा
मनमौजी सा गीत सुनाता, लेकर मन का इकतारा।
मेरे गीत समय की धारा, मेरे गीत समय की धारा।
मातृभूमि का वंदन करता, सुंदर सुमन माल ले।
शब्दों के मोती सजाता, हाथों में पूजन थाल ले।
माटी का तिलक करने को, उमड़ पड़ा शहर सारा।
मेरे गीत समय की धारा, मेरे गीत समय की धारा
अधरों पर मुस्कान सुहानी, मधुरता फैलाती है।
अपनेपन का भाव जगा, हृदय में प्रेम जगाती है।
पावन गंगा की बहती, भावन लगे सुंदर किनारा।
मेरे गीत समय की धारा, मेरे गीत समय की धारा।
राष्ट्रधारा के दीप जलाए, जन मन में उल्लास भरे।
दीप ज्ञान का लेकर सारे, घट घट में प्रकाश करे।
अलख जगा देशभक्ति की, गौरव गान कहे न्यारा।
मेरे गीत समय की धारा, मेरे गीत समय की धारा।
जोश जज्बा हौसलों की, भरता नई उड़ानें लेकर।
सद्भाव फूल खिलाए, सबको स्नेह दुलार देकर।
पथिक हौसला ले चलता, हिम्मत कभी नहीं हारा।
मेरे गीत समय की धारा, मेरे गीत समय की धारा।
रमाकांत सोनी नवलगढ़
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