कसौटी पर खरी दोस्ती

कसौटी पर खरी दोस्ती

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने ठीक ही कहा है कि भारत के साथ रूस की मित्रता कसौटी पर खरी उतरी है। हम सन् 1971 का समय कैसे भूल सकते हैं जब पाकिस्तान के समर्थन मंे अमेरिका ने अपना सातवां बेड़ा भारत के खिलाफ रवाना किया था और उसी समय रूस ने जवाबी कदम उठाते हुए अपना परमाणु हथियारों से सम्पन्न जहाजी बेड़ा रवाना कर दिया था। अब भी हम रक्षा ़क्षेत्र मंे एक दूसरे से मदद ले रहे हैं। रूस ने लड़ाकू विमान दिये हैं तो अब भारत मंे रूस की मदद से उन्नत तकनीकी में एके-203 राइफल्स का निर्माण किया जाएगा। भारत रूस से 70 हजार राइफलें खरीदेगा। भारत और रूस के रक्षा मंत्रियों एवं विदेश मंत्री के बीच वार्ता मंे यह तय हुआ है। गत 6 दिसम्बर को राष्ट्रपति पुतिन दिल्ली पहुंचे और वहां हैदराबाद हाउस मंे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पुतिन के बीच 21वां वार्षिक शिखर सम्मेलन हुआ। लगभग 5 घंटे भारत मंे रहने के बाद स्वदेश रवाना हो गये। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि पिछले कुछ दशकों मंे कई बुनियादी बातों मंे बदलाव आया है, नये समीकरण उभरे हैं लेकिन भारत और रूस की दोस्ती कायम रही है। राष्ट्रपति पुतिन ने भी कहा कि भारत हमेशा दोस्ती की कसौटी पर खरा उतरा है। उन्हांेने कहा कि हम भारत को एक महान शक्ति, एक मित्र राष्ट्र और समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले मित्र के रूप मंे देखते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 6 दिसम्बर को भारत-रूस शिखर बैठक की। इस दौरान दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाने के लक्ष्य के साथ कई क्षेत्रों को शामिल किया गया। मोदी ने अपनी शुरूआती टिप्पणी में कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंधों की गति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं तथा दोनों पक्ष अफगानिस्तान में स्थिति और अन्य मुद्दों पर संपर्क में बने हुए हैं।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में, विश्व ने कई मूलभूत परिवर्तन और विभिन्न प्रकार के भू-राजनीतिक बदलाव देखे हैं लेकिन भारत एवं रूस की मित्रता पहले जैसी बनी रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आपकी भारत यात्रा भारत के साथ आपकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में भी हमारे रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए हम एक दीर्घकालिक दृष्टि अपना रहे हैं। हमने 2025 तक 30 बिलियन डॉलर ट्रेड और 50 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है। 2021 हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष हमारे 1971 की ट्रीटी ऑफ पीस फ्रेंडशिप एंड कोऑपरेशन के पांच दशक और हमारी सामरिक भागीदारी के 2 दशक पूरे हो रहे हैं। पीएम ने कहा कि आज हमारे बीच हुए विभिन्न समझौतों से इसमें मदद मिलेगी। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत कोर डेवलपमेंट और को प्रोडक्शन से हमारा रक्षा सहयोग और मजबूत हो रहा है। 
रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर व्यापक चर्चा करने के लक्ष्य से भारत और रूस के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के कुछ घंटों बाद यह शिखर वार्ता हुई। बैठक के लिए पुतिन एक संक्षिप्त यात्रा पर भारत आए थे।’ पिछले 70 साल में रूस के हथियारों के दम पर भारत ने कई युद्ध लड़े हैं। ये हथियार भारत की ताकत में आज भी इजाफा कर रहे हैं। अमेरिका की सीआरएस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के वर्तमान सैन्य शस्त्रागार में रूसी-निर्मित या रूसी-डिजाइन किए गए उपकरणों का भारी भंडार है। भारतीय सेना का मुख्य युद्धक टैंक बल मुख्य रूप से रूसी टी-72एम1 (66 प्रतिशत) और टी-90एस (30 प्रतिशत) से बना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वायुसेना में शामिल 667 विमानों में से 71 प्रतिशत रूसी मूल के हैं, जिनमें से 39 प्रतिशत में एसयू-30, 22 प्रतिशत मिग-21, 9 प्रतिशत मिग 29एस हैं। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना में शामिल सभी 6 एयर टैंकर भी रूस से बने हुए हैं। भारतीय नौसेना का एकमात्र ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर, जिसे हालिया समय में अपडेट किया गया है, ये भी सोवियत युग का है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर जितने भी लड़ाकू विमान तैनात हैं, वो या तो रूस में बने हुए हैं या फिर उन्हें रूसी लाइसेंस पर भारत में बनाया गया है। भारतीय नौसेना का एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रमादित्य यूक्रेन के माइकोलैव ब्लैक सी शिपयार्ड में 1978-1982 में निर्मित कीव क्लास के विमानवाहक पोत का अपग्रेडेड वर्जन है। भारत ने 20 जनवरी 2004 को इस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए ऑर्डर दिया था। इस पोत को अपग्रेड करने में भारत को 2.3 अरब डॉलर खर्च करने पड़े थे। एस-400 को रूस का सबसे अडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही एस-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। कलाशनिकोव कंसर्न की सबसे प्रसिद्ध राइफल एके-47 को दुनियाभर के 30 से ज्यादा देश इस्तेमाल करते हैं। भारतीय थलसेना, नौसेना और वायु सेना भी इस राइफल को अपने मुख्य हथियार के रूप में अपनाया है। एके-47 मुख्य रूप से 8 पार्ट्स से मिलकर बनी है, जिसकी मेंटिनेंस बहुत ही कम होती है। 1959 में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने 
वाले पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक था। इसकी स्पीड के कारण ही तत्कालीन सोवियत संघ के इस लड़ाकू विमान से अमेरिका भी डरता था। यह इकलौता ऐसा विमान है जिसका प्रयोग दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है। मिग-21 बाइसन वही लड़ाकू विमान है, जिसके जरिए बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराया था।
भारत के अमेरिका की तरफ बढ़ रहे झुकाव के बीच पुतिन की यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है। 1999 में बोरिस येल्तसिन के इस्तीफे के बाद पुतिन राष्ट्रपति बने थे। राजनीति में आने से पहले वे सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में जासूस थे। 7 अक्टूबर 1952 को रूस के लेनिनग्राद में जन्मे राष्ट्रपति पुतिन का पूरा नाम व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन है। इनकी परवरिश बहुत ही मुश्किल भरे हालातों में हुई। पुतिन जुड़ो में ब्लैक बेल्ट भी हैं। इसके अलावा पुतिन योग, खेल और घुड़सवारी में भी सक्रिय रहते हैं। पुतिन की इस तरह की गतिविधियों को लेकर देश-विदेश में उनकी मॉचो-मैन वाली छवि प्रचलित है। मुश्किल हालातों का सामना कर पुतिन ने लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी में एक मामूली सा ओहदा हासिल किया। केजीबी में काम करने के नाते पुतिन को राजनीति में प्रवेश मिला और उन्होंने अगले दो दशकों तक चलने वाली अपनी राजनीतिक पारी की सफल शुरुआत की। (हिफी)
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