चुहा के बिल पर मुसहर का छापा!

चुहा के बिल पर मुसहर का छापा!

जय प्रकाश कुँवर |
किसान को अन्नदाता कहा जाता है! वह अपने खेतों में, स्वयं को, अपने परिवार को और देश को खिलाने के लिए अन्न उपजाता है! लेकिन इस काम में उसे तरह तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है! किसान का फसल जैसे ही तैयार हो जाता है, वैसे ही उसके फसल पर परजीवियों का आक्रमण शुरू हो जाता है! गाँव देहात में फसल चोर, कुत्ते, सियार, नीलगाय तथा चुहे आदि जानवर प्रमुख हैं! इन सब में भी चुहों को छोड़कर बाद बाकी सभी केवल तत्काल अपना पेट भरने के लिए फसल चुरा लेते हैं अथवा खा जाते हैं! लेकिन चुहा एक ऐसा जीव है जो खड़ी फसल खेत में स्वयं खाता भी है और बड़े पैमाने पर फसल काट कर खेत में बिल बनाकर संग्रह भी करता है! यह संग्रह खासकर जौ, गेहूँ और धान की बालियों का उनके द्वारा किया जाता है!
जब तक मुसहर जाति के लोग उनके बिल की खोदाई नहीं करते तब तक यह अंदाज लगाना मुश्किल होता है कि किस परिमाण में चुहों ने किसान के फसल को चुराया है! रबी और धान की फसल कटाई के बाद मुसहर लोग उन खेतों में अपने तजुर्बा के मुताबिक़ चुहों के बिलों की खुदाई फावड़े से करते हैं! कुछ दूर बिल की खुदाई करने के बाद चुहों का गुप्त खजाना बालियों का मिलना शुरू हो जाता है! खुदाई करने वाले मुसहरो को एक एक बिल से भर भर टोकरी गेहूँ अथवा धान की बालियां मिलती हैं! बेचारा किसान तो यह सोच भी नही सकता है कि उसके खेत से फसल की इतनी बड़ी चोरी चुहों द्वारा कर ली गई है!
आज के प्रकरण में हम देखें तो ठीक उसी प्रकार आज आम जनता की गाढ़ी कमाई को किसी न किसी प्रकार से चुहा रुपी ये बड़े व्यवसायी, नौकरशाह, और कुछ राजनेता लोग चुराकर और पहले अपना पेट भर कर उसके बाद धन संचय अपार मात्रा में कर रहे हैं! आज कल जब इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स तथा अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा किसी न किसी माध्यम से इनके आमदनी की तुलना में अधिक संपत्ति इकट्ठा करने की जानकारी मिलती है और जांच होनी शुरू होती है तो इनके घर, औफिस एवं गुप्त तहखाने से नोटों का ढेर प्राप्त हो रहा है! इन अपार रूपये का गिनती करना भी मानवीय रूप से संभव नहीं हो पा रहा है और मशीन का सहारा लेना पड़ रहा है! आज कल इस तरह के छापों की बाढ़ सी आगयी है!
अभी हाल ही में तीन चार दिन पहले उत्तर प्रदेश के कनौज के एक इत्रों के व्यवसायी श्री पीयूष जैन के घर से छापे में 250 करोड़ कैश पकड़ाया है और अभी भी जांच जारी है! अब तो उनके सगे संबंधियों के घर की भी तलाशी शुरू हो गयी है जहाँ उनके द्वारा अकूत रुपये छुपाकर रखे होने की संभावना व्यक्त की जा रही है! ये सब लोग है देश के बड़े चुहे जो देश को खोखला करने पर तुले हुए है और देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रहे हैं! एक तरफ देश की बड़ी आबादी पैसे पैसे के लिए मोहताज हैं और दिन भर मिहनत मजदूरी करने पर भी अपने परिवार को भर पेट खाना नहीं खिला पा रहे हैं! ऐसे लोग सरकारी अनुदान की ओर टक टकी लगाये रह रहे हैं ताकि वे अपना और अपने परिवार को दो वक्त खाना खिला सकें! और वही दूसरी ओर एक ऐसा भी वर्ग है जिनके घर से छापे में प्राप्त रुपये और धन की गणना मशीनों द्वारा की जा रही है और उसे बड़े बड़े बक्शों में भर कर ट्रकों द्वारा ढोकर सरकारी खजाने तक पहुँचाया जा रहा है!
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