नये रूप में टाटा की नेक्साॅन ईवी कार

नये रूप में टाटा की नेक्साॅन ईवी कार

घरेलू वाहन निर्माता टाटा मोटर्स अपने मौजूदा मॉडल नेक्सॉन ईवी के फेसलिफ्ट मॉडल के साथ अपने ईवी पोर्टफोलियो को अपग्रेड करने जा रही है। नेक्साॅन ईवी के फेसलिफ्ट मॉडल को बड़े बैटरी पैक के साथ पेश कर सकता है। मौजूदा नेक्सॉन में 30केडब्ल्यूएच की बैटरी देखने को मिलती है, जो फेसलिफ्ट नेक्साॅन ईवी में 40 केडब्ल्यूएच की हो सकती है। इससे टाटा नेक्साॅन ईवी की रेंज भी बढ़ जाएगी। टाटा नेक्सॉन ईवी वर्तमान में ईवी सेगमेंट में लगभग 60 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखती है।

नेक्साॅन ईवी का फेसलिफ्ट मॉडल लॉन्च होने के बाद एमजी मोटर की जेडएसईवी और हुण्डई की कोना को कड़ी टक्कर देगा। मजेदार बात यह है कि एमजी भी 10 से 15 लाख के सेगमेंट में एक और नई इलेक्ट्रिक कार उतारने की तैयारी कर रही है। नए साल 2022 में ईवी सेगमेंट में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी क्योंकि कई बड़ी दिग्गज कंपनियां अपनी नई ईवी को पेशकश करने की तैयारी कर रही हैं। मौजूदा नेक्साॅन ईवी की बैटरी कैपेसिटी 30.2 केडब्ल्यूएच है। यह फुल चार्ज होकर 312 किमी. कि ड्राइवर रेंज तक दे सकती है। इसके अतिरिक्त कंपनी का दावा है कि मात्र 1 घंटे में इस कार की 80 फीसदी चार्ज हो सकती है। इसके अलावा कार की स्पीड जो कि वर्तमान में 120 प्रति घंटा है बढ़ सकती है। अभी 5 वैरिएंट मार्केट में उपलब्ध है। प्राइस की बात करें तो ईवी के मौजूदा मॉडल की शुरुआत (एक्स शोरूम) कीमत 14.24 लाख रुपये से होती है और 16.85 लाख रुपये तक जाती है। टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए काफी आगे तक की प्लानिंग की हुई है। हाल ही में कंपनी ने इस बारे में घोषणा की थी, 2026 तक देश में 10 नए इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च कर सकती है। 2022 से 2023 तक कंपनी कई नए इलेक्ट्रिक वाहन भारतीय बाजार में लॉन्च कर सकती है, जिनमें से अगली कार टाटा अल्ट्रोज का इलेक्ट्रिक वर्जन हो सकती है।

नए साल में जीएसटी में कई बदलाव

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में 1 जनवरी 2022 से कई बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। नए साल में आपकी जेब पर यह बदलाव भारी पड़ने जा रहा है। इन बदलावों में खासकर ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर पैसेंजर ट्रांसपोर्ट या रेस्त्रां सर्विसेज के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर टैक्स का भुगतान करने का दायित्व शामिल है। इसके साथ ही फुटवेयर और टैक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार नए साल में शुरू हो जाएगा। इस शुरुआत के साथ ही फुटवेयर पर 12 प्रतिशत जीएसटी भी लगने लगेगा।

फुटवेयर पर 12 प्रतिशत टैक्स लगने का मतलब है कि आप जो जूता या चप्पल 100 रुपये में खरीदते थे वह नए साल से 112 रुपये में मिलने लगेगा। फिलहाल फुटवेयर पर 5 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है। इसी तरह रेडीमेड कपड़ों समेत सभी टेक्साइटल प्रोडक्ट्स (कॉटन को छोड़कर) पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी लगना शुरू हो जाएगा। इसके अलावा ऑटो रिक्शा चालकों को मैनुअल मोड या ऑफलाइन तरीके से दी जाने वाली पैसें ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर छूट मिलती रहेंगी, लेकिन जब ये सर्विसेज किसी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से दी जाएंगी तो इन पर नए साल से 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा।

सोसायटी में रहने वालों के लिए मेंबर-फी का नियम भी बदलने जा रहा है। क्लब और एसोसिएशन के मेंबर जो फीस देते हैं। अब उस पर उन्हें जीएसटी भी देना पड़ेगा।

नए बदलाव के बाद फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स सर्विस प्रोवाइडर्स का यह उत्तरदायित्व होगा कि उनके द्वारा दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज के बदले वे जीएसटी कलेक्ट करें और उसे सरकार के पास जमा करवाएं। ऐसी सर्विसेज के बदले उन्हें बिल भी जारी करने होंगे। इससे ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा क्योंकि रेस्टोरेंट पहले से ही जीएसटी रेवेन्यू कलेक्ट कर रहे हैं। बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि टैक्स जमा करवाना और बिल जारी करने की जिम्मेदारी अब फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों पर आ गई है।

कैश ट्रांजैक्शन को लेकर सतर्कता

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इन दिनों कैश ट्रांजैक्शन को लेकर काफी सतर्क हो गया है। पिछले कुछ सालों में आयकर विभाग ने बैंक, म्यूचुअल फंड हाउस, ब्रोकर प्लेटफॉर्म आदि जैसे विभिन्न निवेश प्लेटफार्मों पर आम जनता के लिए नकद लेनदेन के नियमों को कड़ा कर दिया है। बता दें कि बहुत सारी ऐसी ट्रांजैक्शन होती हैं, जिन पर इनकम टैक्स की नजर रहती है। बैंक, म्यूचुअल फंड, ब्रोकरेज हाउस और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार के पास अगर आप बड़े कैश ट्रांजेक्शन करते हैं, तो उन्हें आयकर विभाग की इसकी सूचना देनी होती है। उदाहरण के लिए एक साल में अगर आप एक बार या एक से अधिक बार में एफडी में 10 लाख रुपये या उससे अधिक जमा करते हैं तो आयकर विभाग आपसे पैसों से स्रोत के बारे में पूछ सकता है। ऐसे में अगर मुमकिन हो तो एफडी में अधिकतर पैसे ऑनलाइन माध्यम से या फिर चेक के जरिए जमा करें। अगर कोई शख्स एक वित्त वर्ष में अपने एक खाते या एक से अधिक खातों में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की रकम कैश में जमा करता है तो आयकर विभाग पैसों से स्रोत को लेकर सवाल कर सकता है। चालू खातों में अधिकतम सीमा 50 लाख रुपये है। कई बार लोग क्रेडिट कार्ड का बिल भी कैश में जमा करते हैं। अगर आप एक बार में 1 लाख रुपये से अधिक कैश क्रेडिट कार्ड के बिल के तौर पर जमा करते हैं तो आयकर विभाग आपसे सवाल कर सकता है। वहीं अगर आप एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक के क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान कैश में करते हैं तो भी आपसे पैसों से स्रोत के बारे में पूछा जा सकता है।
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