काली अंधियारी रात गई
मिटा अंधेरा आंखों का काली अंधियारी रात गई
जो बीत गया सो बीत गया, रात गई सो बात गई
चकाचौंध के कायल थे जिनको हीरो बतलाते थे
अब असलियत जान गए सतरंगी पर्दों पर आते थे
जो देश खातिर चले गए भारत मां के लाल अमर
आशाओं का जलता दीप रण में दिखलाते जोहर
वही दमकते सितारे हैं वही सच्चे हमराज हमारे हैं
ओज शौर्य उनकी वीरता हमको आंखों से प्यारे हैं
हृदय से वंदन करते उन भारती सपूत जवानों को
उन जोशीले दीवानों को रणवीरों के गुणगानों को
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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