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सीडीएस जनरल बिपिन रावत नहीं रहे

सीडीएस जनरल बिपिन रावत नहीं रहे

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

मौत शाश्वत है लेकिन सीडीएस जनरल विपिन रावत को जिस तरह से क्रूर नियति ने छीना, उससे समूचा देश स्तब्ध है। तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना की खबर जब मिली और पता चला कि उसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस ) बिपिन रावत और उनकी पत्नी भी सवार थीं, तब हर एक ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहा था कि सभी सकुशल हों लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।तमिलनाडु के कुन्नूर के पास भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत का निधन हो गया। बिपिन रावत के साथ इस हादसे में उनकी पत्नी की भी मौत हो गई । बताया जा रहा है कि कोहरे की वजह से लो-विजिबिलिटी के कारण यह हादसा हुआ। दिसंबर 2019 में सरकार ने पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने की घोषणा की थी और 30 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत इस पद पर नियुक्त किए गए। सीडीएस बिपिन सिंह रावत को प्रधानमंत्री मोदी के सबसे भरोसेमंद सैन्य अफसरों में गिना जाता था। बिपिन रावत को सीनियर को सुपरसीड कर सेना प्रमुख बनाया गया था और जिस दिन वो सेना प्रमुख से रिटायर हुए थे उसके अगले ही दिन सीडीएस बना दिए गए थे। सैन्य सेवा के दौरान जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से नवाजा गया था।

जनरल बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे। नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र रहे रावत ने साल 2016 में 27वें सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था। करीब 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं। साल 1978 में भारतीय सेना में शामिल होने वाले जनरल रावत ने 17 दिसंबर 2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद संभाला। उनसे पहले जनरल दलबीर सिंह सुहाग इस पद पर तैनात थे। रावत सबसे पहले 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन के जवान के रूप में सेना का हिस्सा बने थे। चार दशकों की सेवा के दौरान रावत ब्रिगेडियर कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (जीओसी-सी) सदर्न कमांड, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी समेत कई बड़े पदों पर रहे। वो संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स का भी हिस्सा रहे और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली।पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन का अभियान चलाया था, जिसमें भारतीय सेना ने एन एससीएन-के के उग्रवादियों को मुंहतोड जवाब दिया था। यह मिशन रावत की अगुआई में दीमापुर स्थित प्प्प् कॉर्प्स के ऑपरेशन कमांड से चलाया गया था। वो साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक्स की योजना का हिस्सा रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक्स में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कार्रवाई को अंजाम दिया था। इसीलिए सैन्य सेवा के दौरान जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से नवाजा गया था।

जनरल बिपिन रावत 8 दिसम्बर को शहीद हो गए। सीडीएस रावत उस एमआई 17 सीरीज हेलीकॉप्टर में पत्नी के साथ सवार थे, जो ऊटी के पास क्रैश हो गया। जनरल का सैन्य करियर शानदार रहा है। वो कितने असाधारण सैन्य अधिकारी रहे हैं इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि जब देश ने पहला रक्षा प्रमुख यानि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया तो उस पद पर उन्हें नियुक्त किया गया। जनरल रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चैहान राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता भी सेना में अफसर थे। दरअसल रावत के परिवार की परंपरा ही सेना में जाने की रही है। उन्होंने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की। रावत की पढ़ाई देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से हुई. इसके बाद भी वो अपने अध्ययन को आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने एमफिल किया और फिर पीएचडी भी। 2011 में उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चैधरी चरण सिंह मेरठ से पीएचडी प्रदान की गई। वह अपने लंबे करियर में कई तरह के सैन्य अभियानों और कार्रवाई में शामिल होने वाले अफसरों में शामिल रहे। संयुक्त राष्ट्र संघ के कई मिशन में भी वो शामिल रहे। हर बार उनकी बहादुरी, समझदारी और सैन्य रणनीति का लोहा सबने माना. यही वजह थी कि वो सेना में एक पद से दूसरे पद पर तरक्की करते गए.जनरल रावत की पत्नी मधुलिका मध्य प्रदेश के जिले शहडोल से ताल्लुक रखती हैं. रावत की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी कृतिका की कुछ समय पहले मुंबई में शादी हुई है जबकि छोटी बेटी तारिणी अभी पढ़ रही है। जनरल रावत का परिवार पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवा देता आया है। शहीद सीडीएस बिपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं. वो लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक पहुंचे थे।

सीडीएस बिपिन रावत का ताल्लुक सेना के साथ-साथ राजनीतिक परिवार से भी था। उनके नाना किशन सिंह परमार उत्तरकाशी से विधायक थे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ विपिन रावत का हेलीकॉप्टर कुन्नूर के पास क्रैश हो गया। उनके साथ पत्नी और कई सीनियर अफसर भी यात्रा कर रहे थे। ये हेलीकाप्टर एमआई 17 सीरीज का रूसी कॉपर है, जिसका इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर के तौर पर होता है. भारत में इस सीरीज के करीब 150 हेलीकॉप्टर हैं। 03 हफ्ते पहले ही अरुणाचल में इस सीरीज का एक हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था लेकिन चालक दल बाल-बाल बच गया था.वही एमआई 17 सीरीज का भारीभरकम ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर है, जिस पर बैठकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत कुन्नूर से रवाना हुए थे। बताते हैं कि ऊटी के पास ये क्रैश हो गया. ये हेलीकॉप्टर वैसे तो दुनियाभर में काफी ताकतवर और भारीभरकम हेलीकॉप्टर्स में गिना जाता है, खुद भारतीय सेना इसका इस्तेमाल कारगिल युद्ध समेत कई तरह के बचाव अभियानों में कर चुकी है.सोवियत संघ ने एमआई सीरीज के पहले चॉपर का परीक्षण 1975 में किया था, इसके बाद 1977 से इसका सोवियत संघ में उत्पादन होने लगा. रूस अब तक इसके कई वेरिएंट का उत्पादन कर चुका है. दुनियाभर के तमाम देश इसका इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट से लेकर सैन्य अभियानों में करते रहे हैं. ये काफी वजन लेकर उड़ सकता है. साथ ही इसमें 36 लोग एक साथ बैठकर यात्रा भी कर सकते हैं.भारत ने वर्ष 2008 से लेकर 2011 तक 151 एमआई17 हेलीकॉप्टर्स का आर्डर दिया था, जिसे वर्ष 2016 को डिलीवर कर दिया गया. जिसके बाद एमआई सीरीज के पुराने हेलीकॉप्टर्स को सेना ने हटा दिया.श्रीलंका सेना ने लिट्टे के खिलाफ आपरेशन के दौरान इसका इस्तेमाल किया था. कारगिल वार के पहले फेस में भारतीय सेना ने भी इसकी सेवाएं ली थीं. कई देशों की सेनाएं इसका बखूबी इस्तेमाल कर रही हैं.उत्तर कोरिया की सरकारी एयरलाइंस इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल पैसेंजर ट्रांसपोर्ट के लिए करती है। (हिफी)
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