कौन निभायेगा 2022 में वादा

कौन निभायेगा 2022 में वादा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं तो उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल लोक लुभावने वादे कर रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा कुछ आगे है क्योंकि उसे सरकार में रहने का फायदा मिल रहा है। युवाओं को स्मार्ट फोन और टैवलेट बांटने का वादा 25 दिसम्बर को निभाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के अटल बिहारी बाजपेयी स्टेडियम (इकाना स्टेडियम) में स्मार्ट फोन और टैबलेट वितरण का भव्य आगाज किया। भाजपा सरकार ने भी वादों की झड़ी लगा रखी है। इसके साथ ही विपक्षी दल भी सत्ता में आने पर तरह तरह की ‘गिफ्ट’ देने का वादा कर रहे हैं। मुफ्त बिजली से मुफ्त स्कूटी तक देने का वादा किया गया है। जनता से वादा करने की परम्परा कोई नयी नहीं है। पांच दशक से पहले ही चुनाव के समय तरह-तरह के वादे किये जाते थे। दक्षिणा भारत में यह परम्परा तमिलनाडु से शुरू हुई। इसके बाद तो उत्तर भारत में भी वादों की सियासत चुनाव जिताऊ साबित हुई। हितकर न होते हुए यह राजनीति रुचिकर रही है।

देश की आजादी के बाद एक दशक भी नहीं बीता था कि चुनावी वादों की राजनीति शुरू हो गयी थी। इसकी शुरुआत दक्षिण भारत के तमिलनाडु से हुई थी। दक्षिण भारत के कांग्रेसी नेता के. कामराज ने 1954 में स्कूलों में मुफ्त शिक्षा और मुफ्त भोजन देने का वादा किया था। इस वादे ने युवाओं को आकर्षित किया और के. कामराज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गये। युवाओं विशेष रूप से छात्र-छात्राओं को आकर्षक वादों से लुभाने की परम्परा आज भी चली आ रही है। कभी इसी के चलते नकल अध्यादेश वापस लेने का वादा किया गया तो कभी छात्र संघ बहाल करने का वादा करके सरकार बनायी गयी। बेरोजगारी भत्ता लैपटाप वितरण की परम्परा ही आज स्मार्ट फोन और टैबलेट वितरण तक पहुंची है। तमिलराडु में भी जब के. कामराज छात्रों को लुभाने के बाद मुख्यमंत्री बन गये तो 1967 में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) के संस्थापक नेता सीएन अन्ना दुरई ने एक रुपये में साढ़े चार किलो चावल देने का वादा कर गरीब जनता को अपना मुरीद बना लिया था। इस प्रकार सीएन अन्ना दुरई ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था। सीएन अन्ना दुरई के बाद तमिलनाडु में सी. रामचन्द्रन, जयललिता और एम. करुणानिधि भी मुफ्त में जेवर तक देने का वादा कर सत्ता का सुख भोगते रहे हैं।

भारत की राजनीति में श्रीमती इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद बहुत परिवर्तन दिखाई पड़े। राज्यों में सियासी सफलता का मंत्र केन्द्र में भी आजमाया जाने लगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद इंदिरा गांधी सत्ता में आने को बेताब थीं लेकिन तब लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बना दिया गया। दुर्भाग्य से शास्त्री जी ज्यादा दिन पीएम नहीं रह पाये और ताशकंद समझौते के दौरान ही उनकी रहस्यमय स्थिति में मौत हो गयी। उसी दौरान 1966 में बिहार और पूर्वी यूपी में भयंकर सूखा पड़ा था और अगले ही साल 1967 में संसद के चुनाव होने थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उसी समय रोटी, कपड़ा और मकान देने का जनता से वादा किया था। उनका नारा था गरीबी हटाओ। कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में ये वादे किये गये तो जनता ने कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता सौंप दी। इस प्रकार दक्षिण की राह पर पूरा भारत चल पड़ा था। कांग्रेस के हाथ से दिल्ली की कुर्सी तीन बार छिन चुकी थी लेकिन 2004 में श्रीमती सोनिया गाध्ंाी ने गंठबंधन की नीति अपनाकर फिर से सत्ता दिला दी और 2009 में पहली बार किसानों से कर्ज माफी का वादा किया गया। पूर्व के कार्यकाल में मनरेगा ने ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस को लोकप्रिय कर दिया था। इस प्रकार 2009 में एक बार फिर लगातार कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को केन्द्र में सरकार बनाने का अवसर मिला। किसानों के कर्जमाफी की परम्परा तभी से चल रही है और अब तो किसानों को सीधे पैसा बांटा जा रहा है। तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव ने भी किसानों को नकद पैसा बांटा था और मुख्यमंत्री बन गये।

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है और इसके लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा अपने हाथ में लिया है। यूपी चुनाव में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने का ऐलान कर चुकीं प्रियंका गांधी ने एक बड़ा दांव चला और महिलाओं के लिए अलग घोषणा पत्र जारी किया। प्रियंका गांधी ने महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की। प्रियंका वाड्रा कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने पर सालाना भरे हुए 3 सिलेंडर मुफ्त दिए जाएंगे। प्रदेश की सरकारी बसों में महिलाओं के लिए यात्रा मुफ्त होगी। उन्होंने कहा, ग्रेजुएशन में पढ़ने वाली लड़कियों को स्कूटी मिलेगी। परिवार में पैदा होने वाली प्रत्येक बालिका के लिए एक एफडी बनवाई जाएगी। हमने पुलिस बल में 25 प्रतिशत महिलाओं को नौकरी देने की घोषणा की है। चुनाव में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी से शुरुआत की है और आगे चलकर हम इसे 50 फीसदी करना चाहते हैं। संसद और विधान सभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 14 प्रतिशत से कम है। जब 40 फीसदी चुनाव लड़ेंगी तो ये बढ़ेगा। उन्होंने कहा, महिलाएं अब अन्याय सहने को तैयार नहीं हैं। इसलिए हमने महिला घोषणापत्र बनाया है। इसके छह हिस्से हैं- स्वाभिमान, स्वावलंबन, शिक्षा, सम्मान, सुरक्षा और सेहत।

समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर पीछे नहीं रहना चाहती। सपा सरकार बनते ही युवा बेरोजगारों के लिए 10 लाख रोजगार देने की बात भी होगी। यही नहीं हर महीने गरीब परिवारों को 300 यूनिट बिजली फ्री देने का भारी भरकम वायदा भी होगा। सपा ने इसका संकेत दे दिया है। यह सब वायदे सपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल होंगे। इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा आम आदमी पार्टी के लाए गए चुनावी घोषणा पत्र की छाप दिखेगी। मुफ्त बिजली वाला वादा अब पंजाब चुनावों के लिए भी आप ने किया है। हाल में आप सांसद संजय सिंह ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात भी की थी। बिहार में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव से पहले लाखों लोगों को नौकरी देने का वायदा किया था। तेजस्वी सरकार भले ही नहीं बना पाएं, लेकिन राजद सबसे बड़े दल के तौर पर जरूर उभरा। यूपी विधानसभा चुनाव के जरिए पांच साल बाद सत्ता वापसी के प्रयास में लगे अखिलेश यादव इसी तरह के ढेरों आकर्षक वायदे पेश करने की तैयारी में है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट के जरिए बीजेपी के साथ-साथ सपा और कांग्रेस को भी घेरा है। यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से किए जा रहे वादों पर मायावती ने कहा कि इन्हें सत्ता में आने के बाद भुला दिया जाता है। उन्होंने जनता से इन प्रलोभनों से सावधान रहने को कहा है। (हिफी)
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