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देवमयी गौमाता

देवमयी गौमाता

रोम रोम में देव बसे 
हे देवमयी जय गौ माता 
पावन तेरी चरण धूलि 
कण कण चंदन हो जाता
 
सुरभि नंदिनी कामधेनु 
जय गौ माता सुखदाता 
तेरी सेवा नित्य करता जो 
सातों सुख वो नर पाता

मनोकामना पूरी होती 
दुनिया में नाम कमाता है 
तेरी कृपा पाकर माता 
सब काम संभव हो जाता है

पग-पग से सारे संकट भी
मिट जाएंगे जीवन पथ से
गौ सेवा कर प्रगति करते
विकास करें उन्नति रथ से

राजा दिलीप गौ सेवक 
साधु स्वभाव योगी त्यागी
यज्ञ हवन में रत रहते 
प्रजा पालक जन अनुरागी 

तुम बुद्धि विवेक ज्ञानमयी 
करुणा की मूरत हो माता 
सारे मनोरथ पूरे हो जाए 
सब काज सफल करो माता

पावन गंगा की धार सा 
गोमूत्र पावनता लाता 
जो शरण आए सेवा में
 गोलोक धाम स्वर्ग पाता

गीता का सारा सार भरा 
घनश्याम भी दौड़े आते 
तेरे चरण जहां जहां पड़े 
सुख चैन वहां पर छा जाते

बिगड़े सारे काम बने 
गौमाता की हो सेवा
अटकी नैया पार लगे
सेवक पाता मेवा

दुग्धपान से पोषित कर 
बल बुद्धि यश वैभव तुमसे 
सुख सागर उमड़ा आता मां
नर सुख संपति पाता तुमसे

गायों की सेवा करने से 
चमकता किस्मत का तारा 
सारे पाप नष्ट होते पल में 
खुशियों भरा हो जग सारा

किस्मत का ताला खुल जाए
फूलों से भरी धरा मिले
अन्न धन के भंडार भरे 
घर खुशियों से भरा मिले

रमाकांत सोनी नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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