अमृत महोत्सव का जनजातीय अध्याय
(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
आजादी के अमृत महोत्सव में अनेक उपेक्षित तथ्य उजागर हो रहे है। अनेक राष्ट्र नायक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे है। अमृत महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेरणा का एक नया दिन भी घोषित किया गया। अब देश प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस भी मनाएगा। इस दिवस का प्रथम आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर उत्साह पूर्ण रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखण्ड़ में बिरसा मुंडा की मूर्ति का वर्चुअल लोकार्पण किया। भोपाल में विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। बिरसा मुंडा और रानी कमलापति के महान योगदान से देश की नई पीढ़ी परिचित हुई। बिरसा मुंडा की झारखंड बिहार उड़ीसा आदि प्रदेशो में प्रतिष्ठा रही है। जनजातीय समुदाय में उनका बड़ा सम्मान है लेकिन वह राष्ट्र नायक के रूप में पूरे देश के लिए सम्मान की विभूति है। रानी कमलापति को भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान के स्मरण किया गया।
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में हुआ था। उनमें बाल्यकाल से ही समाजसेवा का भाव था। उन्होंने जनजातीय समुदाय को ब्रिटिश दासता से मुक्त कराने का संकल्प लिया था। अकाल के समय उन्होंने लोगों की सेवा सहायता की। इसके साथ ही अंग्रेजों की लगान वसूली का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्थानीय लोगों को एकत्र किया। अंग्रेजों की लगान वसूली के विरुद्ध आन्दोलन किया। मुंडा विद्रोह को उलगुलान नाम से भी जाना जाता है।1895 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दो साल के कारावास की सजा दी गयी। उन्हें लोग सम्मान से धरती आबा कहते थे। अंग्रेजों के विरुद्ध उनका संघर्ष चला। खूँटी थाने पर हमला कर अंग्रेजों को चुनौती दी गई। तांगा नदी के किनारे ब्रिटिश सेना पराजित भी हुई थी। डोम्बरी पहाड़ पर संघर्ष हुआ था। चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। ब्रिटिश जेल में ही उनका निधन हुआ था।
मध्य प्रदेश के रेलवे स्टेशन हबीबगंज का भोपाल के अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति नामकरण किया गया। नरेंद्र मोदी ने इस स्टेशन का लोकार्पण किया। इस प्रकार रानी कमलापति की राष्ट्र सेवा को सम्मान दिया गया। वह अठारहवीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। यह पहली बार है जब जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। अब तक स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक रहे हैं। जनजातीय समुदाय ने प्राचीन काल से ही जम्मू-कश्मीर,मणिपुर, नागालैंड सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास किया है और देश की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। रानी कमलापति का नाम रेलवे स्टेशन से जोड़ने से गोंड समाज सहित सम्पूर्ण जनजाति वर्ग का गौरव बढ़ा है। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन देश का पहला आईएसओ सर्टिफाइड एवं पीपीपी मॉडल पर विकसित रेलवे स्टेशन है। एयरपोर्ट पर मिलने वाली सुविधाएँ इस रेलवे स्टेशन पर मिल रही हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत आगे बढ़ रहा है। यह मास्टर प्लान देश के विकास को अभूतपूर्व गति दे रहा है। देश के संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। यह प्लान सामान्य भारतीय के लिये ईज ऑफ लिविंग सुनिश्चित कर रहा है। रेलवे में कई नये प्रोजेक्ट इस प्लान के तहत तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। दो सौ से अधिक रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है। विदेशी आक्रांताओं के हमलों के बाबजूद जन जातीय समुदाय ने अपनी सभ्यता संस्कृति को कायम रखा है। इन्होंने सदैव विदेशी आक्रांताओं से मोर्चा लिया। स्वतन्त्रता संग्राम में जन जातीय समुदाय का योगदान भी किसी से कम नहीं था लेकिन इनको इतिहास में उचित व पर्याप्त स्थान नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ओर ध्यान दिया। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव शुरू किया। इसके अंतर्गत अनेक उपेक्षित तथ्य उजागर हो रहे है। अनेक राष्ट्र नायकों से देश की वर्तमान पीढ़ी परिचित हो रही है। कुछ दिन पहले तक रानी कमलापति का के नाम से लोग अनजान थे। नरेंद्र मोदी की पहल से यह नाम आज राष्ट्रीय चर्चा में है। भोपाल को नबाबों का शहर कहा जाता है। रानी कमलापति यहां की अंतिम हिन्दू रानी थी। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भारत सही मायने में अपना प्रथम जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है।
जनजातीय समाज के योगदान को जन जन तक पहुँचाया जाएगा। जनजातीय नृत्य,गीत, जीवन शैली,परंपराओं में कोई न कोई तत्व ज्ञान होता है। इसमें जीवन का सत्य समाहित है। मानव जीवन नश्वर है। धरती, खेत, खलिहान किसी के नहीं रहते। धन दौलत यहीं छोड़कर जानी होती है। इसलिए अहंकार से दूर रहना चाहिए। यह भारतीय समाज का चिंतन है। सब इस धरातल पर एक साथ है। जनजातीय समाज ने कोरोना के दोनों टीके लगवाकर पढ़े-लिखे समाज के सामने उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है। देश को बचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जनजातीय समाज का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान है। भगवान श्री राम को वनवास के दौरान जनजातीय समाज द्वारा दिये गये सहयोग ने ही मर्यादा पुरूषोत्तम बनाया। जनजातीय समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों, जीवन-शैली से प्रेरणा मिलती है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में भी शिक्षा, आवास,बिजली,गैस, इलाज आदि सभी सुविधाएँ पहुँचाई गई हैं। देश में जल-जीवन मिशन प्रारंभ कर हर घर में नल से जल पहुँचाया जा रहा है। जनजातीय कलाकृतियों एवं उत्पादों को सरकार द्वारा अब उचित बाजार प्रदान किया जा रहा है। इन्हें आत्म-निर्भर बनाने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। ट्राइफेड पोर्टल के माध्यम से जनजातीय उत्पादों को राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार निरंतर जनजातीय कल्याण के कार्य कर रही हैं।
सरकार द्वारा बीस लाख जनजातीय व्यक्तियों को वनभूमि के पट्टे प्रदान किये गये हैं। जनजातीय युवाओं के शिक्षा एवं कौशल विकास के लिये देशभर में साढ़े सात सौ एकलव्य आवासीय आदर्श विद्यालय खोले जा रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा तीस लाख विद्यार्थियों को हर वर्ष छात्रवृत्ति दी जा रही है। सरकार द्वारा नब्बे वनउपजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। भारत सरकार ने जो डेढ़ सौ से अधिक मेडिकल कॉलेज मंजूर किए हैं,उनमें जनजातीय बहुल जिलों को प्राथमिकता दी गई है। इसी तरह जल जीवन मिशन के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों में नल से जल पहुंचाने की योजना संचालित हो रही है। सरकार ने खनिज नीति में ऐसे परिवर्तन किए जिनसे जनजातीय वर्ग को वन क्षेत्रों में खनिजों के उत्खनन से लाभ मिलने लगा है। जिला खनिज निधि से पचास हजार करोड़ के लाभ में जनजातीय वर्ग हिस्सेदार है। जनजातीय समाज को यह सम्पदा काम आ रही है। खनन क्षेत्र में रोजगार संभावनाओं को बढ़ाया गया है। बाँस की खेती जैसे सरल कार्य को पूर्व सरकारों ने कानूनों में जकड़ दिया था। जिन्हें संशोधित कर अब जनजातीय वर्ग की छोटी छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति का मार्ग प्रारंभ किया गया है। मोटा अनाज जो कभी उपेक्षित था। वह भारत का ब्राण्ड बन रहा है। जनजातीय बहनों को काम और रोजगार के अवसर दिलवाने का कार्य हो रहा है। नई शिक्षा नीति में जनजातीय वर्ग के बच्चों को मातृ भाषा की शिक्षा का लाभ भी मिलेगा। (हिफी)
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