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मैंने तुम्हें देखा था

लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार स्व शंकर दयाल सिंह की स्मृति को समर्पित यह कविता-

 मैंने तुम्हें देखा था

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मैंने,
तुम्हें देखा था,
अभी यहीं,
ठहाकों के बीच। 

पर अचानक,
कहाँ गुम हो गये तुम,
किन ख्यालों में ,
किन ख्वाबों में ।

तुम्हें हम कहाँ ढूंढें,
किन ख्यालों में 
किन ख्वाबों में,
धार के इसपार या उस पार। 
         -------000-----
         अरविन्द अकेला
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