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"भाई-बहन का प्यार "

"भाई-बहन का प्यार "

भाई दूज एक ऐसा त्यौहार,
दर्शाता भाई बहन का प्यार,
पलके बिछा कर इस दिन का 
बहने करती सब इंतजार ।

थोड़ी सी मस्ती थोड़ा सा प्यार, भाई-बहन की मीठी तकरार,
भाई चाहे हो बड़ा या छोटा
बहन पर रौब जमाता हर बार।

दीपावली बाद शीत काल आती,
संग में वो अपने खुशहाली लाती,
सज संवर कर तब बहने सारी
भाई से मिलने मायके आती।

देवर भाभी का भाई बन जाता,
कलाई पर अपने राखी बंधवाता
देवर जैसा फिर भईया पाकर
भाभी का मन फूला ना समाता।

बहन कलाई पर राखी बांधती,
भाई से प्यारे उपहार पाती,
तिलक लगा, मुंह मीठा करा कर
भाई को वो है मिष्ठी खिलाती।

जब मायके से बहना जाती,
आंखों से वो अश्क बहाती,
विदाई की इस बेला पर
सबकी आंखें भर आती।
विदाई की इस बेला पर
सबकी आंखें भर आती।
मौलिक एवं स्वरचित रचना
सुमित मानधना 'गौरव' 
सूरत,  गुजरात।   
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