जीवन और पगडंडी
सत्येन्द्र कुमार पाठक
जीवन की पगडंडियों पर सीख हमेशा मिलता है ;
सुख दुःख की आसुओं से कर्तव्य याद दिलाता है ।
रुको नही चलते रहो कर्तव्य मंजिल मिल जाएगा ;
क्या सोचते , क्या करते सब पथ में मिल पाएगा ।
सोचें नहीं , करते रहें और कर्म पथ पर चलते रहें ;
प्रेम , सौहार्द , विवेक और लक्ष्य कर्म अपनाते रहें ।
सफलता की डोर आप की ओर हमेशा साथ रहेंगे ;
बादल गरजते रहे सफलता के मेघ बरसते रहेंगें ।
धर्म का पथ पर कर्म की रेखाओं पर चलना पड़ेगा ;
सुबह शाम रात में कर्म और धर्म पर सोचना पड़ेगा ।
कर्म ही धर्म को जीवन में निरंतर अपनाना होगा ;
राह में बने कठिनाइयों को हमेशा ठुकराना होगा ।
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