आ रहीं सबकी माता रानी
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आ रहीं सबकी माता रानी,
अपने शेर पर सवार,
लायेंगी चहुँओर खुशियाँ,
हर्षित होगा सारा संसार।
आ रहीं सबकी...।
आयेंगी जब अबकी माता,
होगा धरा पर श्रृंगार,
चमकेगी बिन्दिया माथे पर,
बढ़ायेंगी शोभा गले का हार।
आ रहीं सबकी...।
माँ के चरण जहां भी पड़ते,
बहती भक्ति की बयार,
वह स्थान रमणीक हो जाता,
लगता वहाँ माँ का दरबार।
आ रहीं सबकी...।
जब-जब बढ़ता आतंक धरा पर,
माँ लेती हैं अवतार,
करती वह दुष्टों का दलन,
बांटती हैं जन-जन को प्यार।
आ रहीं सबकी...।
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अरविन्द अकेला
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