मैं माटी का दीपक हूँ
मैं माटी का दीपक हूँ ।
शाम ढले जल जाता हूँ
रात रात भर जलता रहता
तम को चीर भगाता हूँ
मैं माटी का दीपक हूँ ।
मैं माटी का दीपक हूँ ।
सुबह हुई मैं ढल जाता हूँ
रातों की तन्हाई में भी
कभी नहीं घबराता हूँ ,
मैं माटी का दीपक हूँ ।
मैं माटी का दीपक हूँ ।
तेल मिला फिर बाती आई
सबने मिलकर जोत जलायी
राज की बात बताता हूँ ,
मैं माटी का दीपक हूँ ।
मैं माटी का दीपक हूँ ।
बच्चों तुम भी मिलकर रहना
दुश्मन को भी मार भगाना
यह सन्देश सुनाता हूँ ,
मैं माटी का दीपक हूँ ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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