शिक्षक की भूमिका
महानतम शिक्षाविद हुए,
डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ।
मनाते शिक्षक दिवस हैं-
करने को सर्वपल्ली का स्मरण ।
शिक्षा का होता,
जीवन में स्थान अहम ।
इसीलिए शिक्षक की
भूमिका होती नहीं कम ।
शिक्षा देते, योग्य बनाते,
वे ज्ञान बढ़ाते मिटाकर तम ।
की मैकाले ने नष्ट थी-
हमारी सनातन शिक्षा पद्धति ।
अंग्रेज़ी-अंग्रेज़ीयत के दास बने,
सच मारी गयी हमारी मति ।
कभी कभी लगता है,
भाव यही जगता है ।
शिक्षकों ने भी सीखे,
वही पाश्चात्य तरीक़े ।
भूले इतिहास और परंपरा,
बेमतलब हो गये संस्कार ।
शिक्षा का उद्देश्य- सिर्फ़ नौकरी,
वह भी सरकारी, नहीं स्वरोज़गार ।
खेतों में खेतिहर नहीं,
बढ़ते नित लाखों बेकार ।
नहीं सिखाती कर्तव्य,
सिखाती केवल अधिकार ।
शिक्षक की भूमिका पर भी-
चिन्ह सवालिया कई ।
बच्चों के भविष्य पर,
काली बदरिया कई।
शिक्षक फिर से बनें गुरु,
शिक्षा-संस्कृति-संस्कार के संवाहक ।
करें पुनर्जीवित सनातन शिक्षा को,
हों अनुशासक- सरस्वती के उपासक ।
शिक्षक की भूमिका न हो-
सिर्फ़ देना किताबी ज्ञान ।
शिक्षक का दायित्व हो,
बनाना छात्र को पूरा इंसान ।
तभी शिक्षक बनेंगे गुरु ।
होगा शिक्षा का नया अध्याय शुरू ।
जयप्रकाश अग्रवाल काठमांडू नेपाल
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