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मानव का हित है

मानव का हित है

         --:भारतका एक ब्राह्मण.
          संजय कुमार मिश्र"अणु"
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सृष्टि में वो सब समाहित है,
जिसमें मानव का हित है।१।
प्रकृति बदलती है पल पल,
फिर भी वो नवीन नित है।२।
इधर देखो चिलचिलाती धूप,
और उधर वर्षा है शीत है।३।
देखो कोई रुदन कर रहा है,
कोई मग्न हो गा रहा गीत है।४।
डूबता हुआ सूरज बता रहा,
इस हार के बाद हीं जीत है।५।
है सभी प्राणी कर्मों में लिप्त,
कोई निडर कोई भयभीत है।६।
क्यों "मिश्रअणु" होगा म्लान,
जब स्वयं शक्तिमान मित है।७।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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