कोयल और काग
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
कोयल और काग
दोनों एक राशि एक रंग।।
पर दोनों में है बडी भिन्नता,
एक कोमल एक में कर्कशता
दोनों नभ चर दोनों अंडज-
फिर भी भिन्न है ढंग।।
एक रहता है आम्रवन में,
दूसरा मिलता है सर्वत्र
एक अवसर पर बोलता है
एक बोलने को स्वतंत्र
कोयल को सब चाहते हैं-
कौवे को सब करता तंग।।
एक समय कौवा का
होता है खोज
समझ रहे हैं सब-
वह अवसर श्राद्ध का भोज
पर कोयल न हुई कभी-
ऐसे लोगों के संग।।
एक बोली है पहचान,
नहीं तो दोनों एक समान,
पर है दोनों में भेद
जैसे धरती आसमान,
एक है शांतिप्रिय अंतेवासी
दूसरा प्रिय हुडदंग।।
दोनों की जाति एक,
पर एक दुष्ट एक नेक,
वो जानता है वह भेद
जिसका है सजग विवेक,
एक को प्रिय कुचेष्टा-
दूसरे को मादक,मधुप,अनंग।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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