तेरे लिये निकले मेरा प्राण
हे वतन,मेरा कतरा- कतरा,
रहेगा तुझपर सदा कुर्बान,
लहराता रहे हरपल ये तिरंगा
अमिट रहे मेरे देश की शान।
तेरे लिये मैं जीऊँ सदा,
रहे तुझपर सदा अभिमान,
रहे मेरा यह देश सलामत,
तेरे लिये निकले मेरा प्राण।
बार बार जन्म लूँ इस धरा पर,
बढ़ाऊं सदा इस देश का मान,
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
जन-जन का कर सकूँ कल्याण।
रही बचपन से"अकेला" की इच्छा,
नहीं हो कभी मेरे देश का अपमान,
रहे अखंड,अक्षुण्ण मेरा भारत,
करें शहीदों,वीरों का सम्मान।
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अरविन्द अकेला
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1 टिप्पणियाँ
दिल से आभार आपका राकेश भाई।
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