बबुआ गायक हो गेल
~ डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"
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तनिक न देली छोरा के भाव,
हमर बबुआ गायक हो गेल।
चौकी पर बांस के कमानी से,
बजाब हल किरी आउ ढोल।
ग़जब उठाबे बिरहा के तान,
पूर्वी भी गाव हे गला खोल।
डाटला पर बोल हे कु-बोल
हमर बबुआ गायक हो गेल।।
खरीदलक हल एगो बसुरी,
दसहरा पूजा के वेर मेला में।
दिन रात टेर हल बेसुरा तान,
पड़ गेली बेहूदा के फेरा में।
धरले धरल रह गेल अरमान,
हमर बबुआ गायक हो गेल।।
न कभी खाय के चिन्ता,
न कउनो काम के फ़ीकीर।
तेज आवाज में गाना गावत ,
करत खेंसड़िया के जीकीर।
जईसन करत अपने पावत
हमर बबुआ गायक हो गेल।।
गाना सुनके कुछ गावे लागल
जहाँ-तहाँ बैठकी लगाबे लगल
अब सोंचत ही करके जुगाड़
बाधी कईसुहुँ छोरा के अगाड
संगी साथे गावे गला फाड़,
हमर बबुआ गायक हो गेल ।।
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