आज बॉलीवुड मुसलमानों के श्रद्धास्थानों पर आक्रमण करनेवाले चलचित्र (फिल्म) बनाने से डरता है; क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी जान जा सकती है अथवा उन्हें तीव्र विरोध का सामना करना होगा । जब उन्हें बोध होगा कि हिन्दुआें के श्रद्धास्थानों पर आक्रमण करने पर हिन्दू समाज भी हमें हानि पहुंचा सकता है, तभी वे हिन्दुआें के विरोध में चलचित्र प्रदर्शित करने का साहस नहीं करेंगे । इस हेतु सभी हिन्दुआें को संगठित होकर ऐसे चलचित्रों पर और चलचित्रों के प्रायोजकों की सभी वस्तुआें का बहिष्कार करना चाहिए । उनका तीव्र विरोध करना चाहिए । ऐसा होने पर बॉलीवुड अवश्य ही उसका संज्ञान लेगा । इस हेतु हिन्दुआें को निरंतर प्रयास करना चाहिए । अन्य हिन्दुआें को शिक्षित करना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुभाष झा ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘दी एम्पायर : क्रूर इस्लामी आक्रमकणकारियों का गुणगान’ इस विषय पर आयोजित विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
इस संवाद में बोलते हुए विवेकानंद कार्य समिति के कार्याध्यक्ष श्री. नीरज अत्री ने कहा कि जब राममंदिर का निर्माणकार्य हो रहा है, तभी बाबर का महिमामंडन करनेवाली ‘दी एम्पायर’ नाम की वेब सीरीज आती है । यह केवल संयोग न होकर सुनियोजित षड्यंत्र है । पहले वे लोग तलवार के बल पर धर्मांतरण करते थे । वर्तमान में मन पर सर्वाधिक परिणाम करनेवाली ‘वेब सीरीज’ जैसे आधुनिक तकनीक का शस्त्र के रूप में उपयोग किया जा रहा है । हमें भी ऐसे असत्य प्रचार का उसी भाषा में अभ्यासपूर्ण उत्तर देना चाहिए । तो ही ‘कबीर खान’ जैसे मुसलमान निर्देशक सार्वजनिक रूप से ‘मुगल राष्ट्र निर्माता थेे’ ऐसा झूठ बोलने का साहस नहीं करेंगे । साथ ही केंद्रीय शिक्षा संस्था, सेन्सर बोर्ड और अनेक स्थानों पर जो कम्युनिस्ट और जिहादी मानसिकता के लोग बैठे हैं । उन्हें उत्तर देने के लिए वीर सावरकरजी के बताए अनुसार ‘राजनीति का हिन्दूकरण करना चाहिए ।’ जिससे सत्य इतिहास लोगों के सामने आएगा ।
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