फिर चलो स्कूल पढ़ने !
खुल गए 'स्कूल' फिर से
चलो पढ़ने
अभी तक मस्ती बहुत की
'लाकड़ाउन' में
रह रहे थे साथ में सब
गेह 'गाउन' में
समय की घण्टी बजी
भाग्य गढ़ने
खुल गए 'स्कूल' फिर से
चलो पढ़ने
पढ़ रहे थे घर घुसे
सभी 'आन-लाइन'
मिल न पाया ज्ञान का
शुभ एक 'साइन'
समय है नाजुक बहुत
राह कढ़ने
खुल गए 'स्कूल' फिर से
चलो पढ़ने
खोलकर आंखे हंसी
कापी-किताबें
रबर-पेंसिल कर रहीं
आपस में बातें
कखगघ एबीसीडी
शब्द मढ़ने
खुल गए 'स्कूल' फिर से
चलो पढ़ने
पहन कर 'ड्रेस-टाई'
पीठों पे बस्ते
चल पड़े हैं 'शूज'सज
'स्कूलों' के रस्ते
खिलखिलाकर डग बढ़े
'क्लास' चढ़ने
खुल गए 'स्कूल' फिर से
चलो पढ़ने
*
27/08/2021
~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
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1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sunder rachnaon ki prastuti. Rajani Pathakjee ki' BHADO KI BAT' ek sarahneeye rachana hai.
जवाब देंहटाएंदिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
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