साधना और स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया द्वारा आत्महत्या से रक्षा हो सकती है !

‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ द्वारा ‘साधना के कारण आत्महत्या
से कैसे बच सकते हैं ?’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय परिषद में शोधनिबंध प्रस्तुत !

साधना और स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया द्वारा आत्महत्या से रक्षा हो सकती है !

            पूर्ण विश्‍व में प्रति वर्ष लगभग लाख व्यक्ति आत्महत्या करते हैंअर्थात प्रति 40 सेकंड में व्यक्ति इनमें से अधिकांश व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ होते हैइसलिए उनकी मृत्यु अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण है । व्यक्ति की तनाव का सामना करने की क्षमता उसकी मानसिक ऊर्जा पर निर्भर होती है । किसी व्यक्ति में स्वभावदोष अधिक होभूतकाल की अप्रिय घटनाआें का मन पर तनाव होतो मन की ऊर्जा अल्प होती है । अनेक समस्याआें का मूलभूत कारण आध्यात्मिक होता हैउदाप्रारब्ध । अतृप्त पूर्वज और सूक्ष्म स्तरीय अनिष्ट शक्तियां भी व्यक्ति को कष्ट देती हैं और उनके स्वभावदोष तथा पूर्वजन्मों के लेन-देन के आधार पर उन्हें आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करती है । इन सभी पर विजय प्राप्त करने हेतु व्यक्ति द्वारा साधना और स्वभावदोष निर्मूलन प्रकिया करने पर आत्महत्या से बचा जा सकता हैऐसा प्रतिपादन ‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ के श्रीशॉन क्लार्क ने किया । दी सेवन्थ इंटरनेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑन पब्लिक हेल्थश्रीलंका (The 7th International Conference on Public Health (ICOPH 2021), Sri Lanka) इस अंतरराष्ट्रीय परिषद में शोधनिबंध प्रस्तुत करते हुए वे बोल रहे थे । यह परिषद ‘दी इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नॉलेज मैनेजमेंटश्रीलंका (The International Institute of Knowledge Management (TIIKM), Sri Lanka) द्वारा आयोजित की गई थी ।

         महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉआठवलेजी इस शोधप्रबंध के मुख्य लेखक तथा श्रीशॉन क्लार्क  सहलेखक हैं । महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुत किया गया यह 77 वां शोधपरक लेख था । इससे पूर्व विश्‍वविद्यालय द्वारा 15 राष्ट्रीय और 61 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए हैं । इनमें से अंतरराष्ट्रीय परिषदों में विश्‍वविद्यालय को ‘सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध’ पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।

          इस समय श्रीशॉन क्लार्क ने तनाव और आत्महत्या के संदर्भ में किया गया अध्यात्मिक शोधव्यक्ति द्वारा आत्महत्या किए जाने के मूलभूत कारण और उस पर उपाय इत्यादि महत्त्वपूर्ण सूत्र स्पष्ट किए । आत्महत्या रोकने हेतु किए जानेवाले प्रयत्नों का सार प्रस्तुत करते हुए  श्रीशॉन क्लार्क ने कहा किनामजप अत्यधिक सरलपरंतु उपयुक्त साधना है । नामजप के कारण व्यक्ति में स्वभावदोष-निर्मूलन हेतु आवश्यक ऊर्जा निर्माण होती है । वर्तमान काल हेतु ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ उपयुक्त नामजप हैऐसा शोध द्वारा ज्ञात हुआ है । साथ ही ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप पितृदोष से रक्षा करता है । इनके साथ में स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया द्वारा मन के स्वभावदोषों पर विजय प्राप्त करना सरल होता है । मानसिक स्वास्थ्य को बढावा देने हेतु एवं विकारों को प्रतिबंधित करने हेतु लोगों द्वारा उपरोक्त सूत्र आत्मसात करने पर आत्महत्या की संख्या घटने में निश्‍चित ही सहायता होगी ।
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