रक्षाबंधन
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
निर्बलों की रक्षा का-
भार है कंधों पर।
तभी विश्वास रहता है-
आपसी संबंधों पर।।
ये आपसी संबंध-
तभी होता बेजोड।
जब रक्षा विधान को-
न पाता कोई तोड।।
बडा कठीन है व्रत-
निभाना धागों का।
यह सुरक्षा चक्र है-
निर्बल,अभागों का।।
कहो मैं रक्षक हूं-
तुम रहो निडर।
हमारे रहते तुम्हें-
न लगेगी बुरी नजर।।
ये स्नेह का बंधन है
ये प्रेम का बंधन है,
देखो सजा है आज-
हर गांव हर घर।।
कितना पावन,
कितना मन भावन।
आओ संकल्प लें-
रक्षाबंधन!रक्षाबंधन।।
हर पल,हर क्षण,
हर कदम,हर डगर।।
----------------------------------------वलिदाद,अरवल(बिहार)
संपर्क --- 8340781217.
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