कहीं गगन से मौत बरसती
कहीं गगन से मौत बरसती,बाढ प्रलय सौगात बरसती।बूंद बूंद को प्यासी धरती,राह देखती- आंख बरसती।कल आये थे थोड़े बादल,आस लिए थे थोड़े बादल।लगी मानसून की दस्तक,कुछ बरसे थे थोड़े बादल।बुझी नहीं है प्यास धरा की,फिर तुम आ जाओ बादल।रिमझिम बरसों धरा प्यासी,प्यास बुझा दो प्यारे बादल।हरी भरी जब धरती होगी,फल फूल अन्न भरी होगी।धानी चुनरी ओढ धरा फिर,शुद्ध स्वच्छ प्रदूषण मुक्त होगी।अ कीर्ति वर्द्धनदिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com