“शब्दवीणा” की देवघर जिला समिति द्वारा भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन – गंगा, पर्यावरण और देश के प्रहरियों को समर्पित रही शाम

देवघर/गया। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की झारखंड प्रदेश इकाई अंतर्गत देवघर जिला समिति ने एक भावपूर्ण और चिंतनशील काव्य गोष्ठी का आयोजन देवघर के प्रतिष्ठित 'अटल लैंग्वेज लैब' में किया। इस विशेष काव्य संध्या का विषय था – "एक शाम: गंगा, पर्यावरण और देश के प्रहरियों के नाम", जिसमें क्षेत्रीय रचनाकारों ने अपने काव्यपाठ से न केवल वातावरण को संगीतमय किया, बल्कि गहन सामाजिक संदेश भी दिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शब्दवीणा के राष्ट्रीय परामर्शदाता एवं झारखंड प्रदेश संरक्षक, वरिष्ठ पत्रकार प्रो. डॉ. रामनंदन सिंह ने की, जबकि आयोजन का सफल संचालन शब्दवीणा देवघर जिला अध्यक्ष, वरिष्ठ कवि डॉ. विजय शंकर के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी एवं प्रदेश के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों का विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
रचनाओं में झलका प्रकृति और राष्ट्रप्रेम का भाव
इस गोष्ठी में भाग लेने वाले प्रमुख कवि-कवयित्रियों में डॉ. विजय शंकर, बबन बदिया, धीरेन्द्र छतहारवाला, सोनम झा, प्रशांत कुमार सिन्हा, मधुलिका शंकर, शंभु कुमार मिश्र सहित अन्य आमंत्रित रचनाकारों ने गंगा की पावनता, पर्यावरण की अनिवार्यता और देश के रक्षक सैनिकों की वीरता पर आधारित सशक्त काव्य प्रस्तुत किए।
चाय की चुस्कियों के बीच जब मंच से पर्यावरण की रक्षा की पुकार उठी, तो उपस्थित जनमानस आत्ममंथन में डूब गया। कवयित्री सोनम झा की गहन चिंता “हाँ ठीक है, अपने पीछे तुम लाखों की संपत्ति छोड़कर जाओगे... लेकिन स्वच्छ हवा, कलकल बहती नदियाँ, एवं वृक्षदार पर्वत कहाँ से लाओगे?” – ने सभागार में मौन की गंभीरता भर दी।
धीरेन्द्र छतहारवाला की प्रस्तुति "मेरा जीवन एक कहानी है... तू पूजा है, मैं पुजारी हूँ" और "भूलभुलैया में सांसों के..." को श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली। वहीं डॉ. परशुराम तिवारी के गीत "चलो कुछ पेड़ लगायें..." ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजगता का स्वर ऊँचा किया।
साहित्य के माध्यम से संवेदना का संचार
इस आयोजन में डॉ. विजय शंकर ने गंगा और माँ प्रकृति की महिमा पर अपने भावपूर्ण विचार साझा करते हुए पावन शांति पाठ की सविस्तार व्याख्या की। उन्होंने कहा कि “प्रकृति के बिना शांति असंभव है, और यदि गंगा शांत नहीं रही तो जीवन भी अशांत होगा।”
इस मौके पर शब्दवीणा देवघर जिला समिति की सक्रिय भूमिका में अध्यक्ष डॉ. विजय शंकर, उपाध्यक्ष डॉ. इति कुमारी, सचिव डॉ. परशुराम तिवारी, संगठन मंत्री सोनाली भारती, कोषाध्यक्ष बबन बदिया, साहित्य मंत्री सोनम झा एवं प्रचार मंत्री धीरेन्द्र छतहारवाला का समर्पण उल्लेखनीय रहा।
नेतृत्वकर्ताओं की शुभकामनाएँ और संस्थागत समर्थन
इस आयोजन को राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने “प्रशंसनीय, अनुकरणीय और सामाजिक चेतना का वाहक” बताया। वहीं बिहार प्रदेश संरक्षक प्रो. सुबोध कुमार झा, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा प्रसाद कुमकुम, प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण कुमार यादव, प्रदेश साहित्य मंत्री प्रो. नूतन शर्मा, प्रदेश सचिव अर्पणा कुमारी, प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. रजनी शर्मा चंदा, प्रदेश प्रचार मंत्री आशीष जैन, जमशेदपुर जिला अध्यक्ष पूनम शर्मा स्नेहिल, गोड्डा जिला अध्यक्ष सुरजीत झा सहित संस्था के वरिष्ठजनों ने आयोजकों को बधाई दी और भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
प्रो. रामनंदन सिंह ने शब्दवीणा परिवार की एकता, सांस्कृतिक संजीवनी और राष्ट्रप्रेम की भावना को इसकी सबसे बड़ी शक्ति बताते हुए संस्था के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। यह आयोजन न केवल एक साहित्यिक कार्यक्रम था, बल्कि यह प्रकृति संरक्षण, राष्ट्रीय भावना और सामाजिक जिम्मेदारी की गहरी चेतना से ओतप्रोत एक सांस्कृतिक संकल्प की पुनर्पुष्टि भी थी। देवघर में शब्दवीणा की यह प्रस्तुत काव्य संध्या निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों को साहित्य के माध्यम से जागरूकता का संदेश देती रहेगी।
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