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स्वाभिमान साहित्यिक मंच के 33वें राष्ट्रीय कवि दरबार में 'शब्दों की उड़ान' संकलन का भव्य विमोचन

स्वाभिमान साहित्यिक मंच के 33वें राष्ट्रीय कवि दरबार में 'शब्दों की उड़ान' संकलन का भव्य विमोचन

स्वाभिमान साहित्यिक मंच एवं स्वाभिमान प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में 33वां राष्ट्रीय कवि दरबार एवं 20वें नये काव्य संकलन 'शब्दों की उड़ान' का भव्य विमोचन समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन साहित्यिक समर्पण, भावनात्मक अभिव्यक्ति और राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत रहा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच की संस्थापिका डॉ. जसप्रीत कौर 'प्रीत' ने की, जबकि आयोजन के संयोजक और संकलन के संपादक नरेश कुमार आष्टा रहे। अतिथि के रूप में अमरजीत सिंह ज़ोहरा, चरणजीत कौर, आजाद सिंह, परमजीत सिंह सहित अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार व रचनाकार उपस्थित थे। संचालन का दायित्व जागृति गौड़ ने पूरी निपुणता से निभाया।

कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदे वंदना से हुई, जिसके गीतकार हैं कालजयी घनश्याम। इसके उपरांत उपस्थित रचनाकारों का परिचय कराया गया और फिर आरंभ हुआ राष्ट्रीय कवि दरबार, जिसमें देश भर से आए साहित्यकारों ने अपनी भावनाओं की बौछार कर दी।

दिल्ली से संतोष पुरी ने पहलगाम की घटना पर आधारित भावपूर्ण कविता "कसम सिंदूर की" सुनाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। अररिया (बिहार) से डॉ. अनुज प्रभात की कविता "मिट्टी का दर्द" को खूब सराहना मिली। नोएडा से राष्ट्रपति सम्मानित वरिष्ठ ग़ज़लकार और चित्रकार विज्ञान व्रत ने दोहे व ग़ज़ल "तुम से जितनी बार मिला हूं..." प्रस्तुत की, जिसने श्रोताओं को तालियों पर मजबूर कर दिया।

दुमका से तेजनारायण राय ने "मां और चिड़ियों के रिश्ते" पर भावनात्मक कविता प्रस्तुत की, वहीं वरिष्ठ ग़ज़लकार सिद्धेश्वर जी ने देशभक्ति से ओतप्रोत ग़ज़ल "और कितने भागों में हिंदुस्तान बांटोगे?" से श्रोताओं में राष्ट्रप्रेम की भावना जगा दी।

राजस्थान के सोजात सिटी से राष्ट्रपति से सम्मानित साहित्यकार रशीद गौरी ने ग़ज़ल "जिंदगी हो गई खफा दोस्तों..." सुनाकर सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम संयोजक नरेश कुमार आष्टा ने अपनी प्रेरणादायक कविता "जो कर रहे हैं मेहनत, क्यों उनके रास्तों में कांटे बिछाते हो?" सुनाकर आयोजन को नई ऊंचाइयां दीं।

संचालिका जागृति गौड़ ने कविता "काश! आज जिंदगी से मुलाकात हो जाए..." से भावनाओं को जीवंत कर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. जसप्रीत कौर 'प्रीत' ने अपनी नज़्म "जो करते थे दिल्लगी, उनसे किनारा कर लिया..." के माध्यम से समापन को शिखर पर पहुंचाया।

इस अवसर पर संकलन ‘शब्दों की उड़ान’ में शामिल देशभर के 26 रचनाकारों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया और उनके साहित्यिक भविष्य की शुभकामनाएं दी गईं।
स्वाभिमान प्रोडक्शन द्वारा इस संकलन की सभी रचनाओं को संगीतबद्ध व वीडियो रूप में तैयार कर यूट्यूब चैनल ‘स्वाभिमान साहित्य’ पर प्रसारित किया गया। 'शब्दों की उड़ान – भाग 01 से 05' तक दर्शकों ने भरपूर सराहना दी।

संकलन में सम्मिलित रचनाएं – ग़ज़ल, कविता, गीत, लघुकथा आदि – पाठकों एवं श्रोताओं के मन को गहराई से स्पर्श करने में सफल रहीं।
कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी स्वाभिमान साहित्य के यूट्यूब चैनल पर किया गया, जिसे देश-विदेश के दर्शकों ने खूब सराहा।

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