"कौन है हारा कौन है जीता"?
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सम्बन्धों की बिगड़ी चाल
हार गए सब बजा के गाल,
बात बढ़ी तो पता चला है
दोषी निकली है ससुराल।
जनक जननी हो गए हैं मौन
आखिर मुँह खोलेगा कौन?
देख अवस्था अपनी अपनी
मान लिया है स्वयं को गौण।
मँहगे मँहगे दूरभाष हैं
पट पर केवल ससुर सास हैं
जबतब छोटा साला दिखता
बेटा कहता क्यों उदास हैं?
सरहज की मीठी मुस्कान
साली बढ़ा रही पहचान,
आयोजन है वर्षगाँठ का
जय हो अपना देश महान।
सब कहते हैं तीर्थ अनोखा
ठग जाते,खाते है धोखा,
सतरंगी अद्भुत दिखता है
कहलाता पर है पनसोखा।
वाह जनकपुर वाह री सीता!
बाकी सब रीता का रीता,
सोच रही है विकल अयोध्या
कौन है हारा कौन है जीता?
रजनीकांत।
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